नई दिल्ली। नगालैंड में सेना की फायरिंग में 14 लोगों के मारे जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने एसआईटी बनाने की घोषणा की है। एसआईटी एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी। उक्त जानकारी सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दी। उन्होंने कहा कि सेना को नगालैंड के ओटिंग, सोम में चरमपंथियों की गतिविधि की सूचना मिली थी। इसी आधार पर 21 कमांडो ने संदिग्ध इलाके में घात लगाकर हमला किया। वाहन में सवार 8 लोगों में से 6 की मौत हो गई। बाद में पता चला कि यह गलत पहचान का मामला है।

गृहमंत्री ने कहा कि सेना की टुकड़ी ने एक वाहन को रुकने का इशारा किया, लेकिन उसने भागने की कोशिश की। उग्रवादियों को ले जा रहे वाहन के संदेह में, उस पर गोली चलाई गई। जो दो लोग घायल हुए, उन्हें सेना ही अस्पताल ले गई। हादसे की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने सेना को घेर लिया और सेना के वाहनों को आग लगा दी। इसमें एक जवान की मृत्यु हो गई। इसके बाद सेना ने स्थिति पर काबू पाने के लिए गोली चलाई। इसमें 6-7 और लोगों की मौत हुई और कुछ घायल हुए।

सेना ने बैठाई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी

सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठाई है। इसकी अगुवाई मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी करेंगे है। वहीं, नगालैंड मुख्यमंत्री नीफियू रियो और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के सांग्मा ने गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि राज्यों से एएफएसपीए (AFSPA) कानून हटाया जाए। बता दें कि नगालैंड के मुख्यमंत्री नीफियू रियो डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नगालैंड पार्टी से हैं, जो भाजपा से गठबंधन करके बनी है।

AFSPA को हटाने की मांग

नगालैंड के सीएम नीफियू रियो ने बताया कि गृह मंत्री इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हमने घटना में प्रभावित लोगों को सहायता राशि दी है। हम केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि नागालैंड से AFSPA को हटाया जाए, क्योंकि इस कानून ने हमारे देश की छवि धूमिल कर दी है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने भी ट्वीट करके AFSPA को हटाने की मांग की है।