नई दिल्ली। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के कामकाज में बाधा डालने के आरोप में 12 सांसदों के निलंबन के बाद मंगलवार को वे संसद भवन में गांधी प्रतिमा पर धरना देकर बैठ गए हैं। अपने निलंबन को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

राज्य सभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निलंबन को नियम विरुद्ध बताते हुए कहा कि इसके विरोध में विरोधी दलों ने आज राज्य सभा की कार्यवाही का बॉयकॉट करने का फैसला किया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए सांसदों के निलंबन को वापस लेने की मांग की।

धरने में शामिल हुई शिवसेना सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि जनता के मुद्दे उठाना और सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना अगर अलोकतांत्रिक है, संसदीय नियमों के खिलाफ है तो उन्हें ऐसे 100 निलंबन कबूल है।

एक आधिकारिक नोटिस के अनुसार, 12 विपक्षी सांसदों को “अभूतपूर्व कृत्यों के माध्यम से सदन के कामकाज में बाधा डालने” के लिए निलंबित कर दिया गया था। निलंबन नोटिस में कहा गया है, “यह सदन संज्ञान लेता है और अध्यक्ष के अधिकार की पूर्ण अवहेलना की कड़ी निंदा करता है, सदन के नियमों का पूरी तरह से लगातार दुरुपयोग करता है जिससे सदन के कामकाज में उनके अभूतपूर्व कदाचार, अवमानना, अनियंत्रित और जानबूझकर बाधित होता है।

राज्य सभा (मानसून सत्र) के 254वें सत्र (मानसून सत्र) के अंतिम दिन यानी 11 अगस्त को सुरक्षा कर्मियों पर हिंसक व्यवहार और जानबूझकर हमले, जिससे निम्नलिखित सदस्यों द्वारा सम्मानित सदन की गरिमा को कम किया जा सके और अपमान किया जा सके और उपरोक्त अनिवार्य कारणों से संकल्प लिया जा सके। राज्यसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 256 के तहत इन सदस्यों को 255 वें सत्र के शेष के लिए सदन की सेवा से निलंबित किया जा रहा है।

निलंबित सांसदों में कांग्रेस से फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, MC से डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना से प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, CPM के एलाराम करीम और CPI के बिनॉय विश्वम शामिल हैं।