दिल्ली में लगातार बिगड़ रही आबोहवा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए दिल्ली सरकार को जमकर लताड़ा है। दरअसल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एनवी रमना ने सरकार को फटकार लगाई है। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को कहा है कि आप देख रहे हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। हम अपने घरों में भी मास्क लगाकर घूम रहे हैं। ऐसी स्थिति में दिल्ली में स्कूलों को खोलना क्या सही है? शीर्ष कोर्ट ने इस दौरान प्रदूषण रोकने के लिए दो दिन का लॉकडाउन लगाने का सुझाव भी सरकार को दिया है।
दिल्ली सरकार के स्कूल खाेलने के फैसले पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि स्कूल खुले होने से बच्चे खराब हवा में बाहर निकलने को मजबूर हैं। उन्होंने एम्स प्रमुख रणदीप गुलेरिया की बात का हवाला देते हुए कहा कि एक तरफ कोविड है, डेंगू है और एक तरफ प्रदूषण है और बच्चे ऐसे मौसम में बाहर निकल रहे हैं।
प्रदूषण नहीं रुक रहा तो लगा दें लॉकडाउन
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर यह सवाल उठाया है। इस दौरान कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन से तुरंत प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाने काे कहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण रोकने के लिए वाहनों को रोकने और दिल्ली में लॉकडाउन लगाने जैसे सख्त कदम उठाने तक को कह दिया है।
पराली पर सुप्रीम कोर्ट का सवालिया निशान
इस दौरान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पिछले पांच-छह दिनों में हमने जाे प्रदूषण देखा है वह पंजाब में पराली जलने की वजह से है। राज्य सरकारों को अपने काम में तेजी लाने की जरूरत है। पराली खेतों में अब भी जलाई जा रही है। इस जवाब पर ही सवालिया निशान लगाते हुए चीफ जस्टिस रमना ने सरकार से ही पूछा लिया कि आप ऐसा क्यों जताना चाहते हैं कि सिर्फ पराली जलाने से ही प्रदूषण हो रहा है। उससे सिर्फ कुछ प्रतिशत ही प्रदूषण फैल रहा है, बाकी का क्या?
प्रदूषण को रोकने को स्थायी प्लान बताएं
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर सख्ती करते हुए सवाल पूछा है कि पराली के अलावा दिल्ली के बाकी प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है? इसे रोकने के लिए सरकार ने क्या इमरजेंसी प्लान बनाया है। इस दौरान सुको सरकार को चेता दिया कि सिर्फ दो तीन दिन के प्लान बताने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि सही प्लान को बताना होगा।