लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर प्रियंकागांधी को प्रदेश के भीतर किसी जिले में जाने से रोका है। हालांकि सरकार को आखिरकार इजाजत देनी ही पड़ी। प्रियंका गांधी को करीब दो घंटे तक हिरासत में रखने के बाद आखिरकार आगरा जाने की अनुमति मिल गई है।

इससे पहले लखनऊ से लखीमपुर खीरी जाते समय उन्हें रास्ते में कई स्थानों पर रोका गया था ओर आखिरकार सीतापुर में हिरासत में ले लिया गया था। हालांकि बाद में वहां भी जाने के लिए उन्हें अनुमति मिल गई थी।

बता दें कि आगरा में धारा 144 लागू होने के बाद कांग्रेस नेता को चार लोगों के साथ आगरा जाने की अनुमति दी गई है। वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आचार्य प्रमोद कृष्णम और एमएलसी दीपक सिंह के साथ आगरा के लिए रवाना हो गई हैं।

इससे पहले, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं जहां भी जाती हूं, वे मुझे रोकते हैं। अब वे कह रहे हैं कि मैं आगरा नहीं जा सकती। क्या मुझे एक रेस्तरां में बैठना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए राजनीतिक रूप से उपयुक्त बैठता है?”

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह आगरा जाएंगी और अरुण वाल्मीकि के परिवार से मिलेंगी, जिनकी कथित तौर पर हिरासत में मौत हो गई है। उन्हें पहले लखनऊ पुलिस ने लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हिरासत में लिया था, जब वह पुलिस हिरासत में मारे गए एक दलित व्यक्ति के परिवार से मिलने आगरा जा रही थी।

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर पहले टोल प्लाजा पर उनकी कार को रोका गया। इस महीने की शुरुआत में, उन्हें सीतापुर में हिरासत में लिया गया था, जब वह 3 अक्टूबर को मारे गए किसानों के परिवारों से मिलने लखीमपुर खीरी जा रही थीं।

उन्हें रोकने के बाद, प्रियंका गांधी ने हिंदी में किए गए एक ट्वीट में कहा, “अरुण वाल्मीकि की मृत्यु पुलिस हिरासत में हुई। उनका परिवार न्याय मांग रहा है। मैं परिवार से मिलने जाना चाहती हूं। उप्र सरकार को डर किस बात का है? क्यों मुझे रोका जा रहा है। आज भगवान वाल्मीकि जयंती है, पीएम ने महात्मा बुद्ध पर बड़ी बातें की, लेकिन उनके संदेशों पर हमला कर रहे हैं।”

इससे कुछ देर पहले उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “किसी को पुलिस कस्टडी में पीट-पीटकर मार देना कहां का न्याय है? आगरा पुलिस कस्टडी में अरुण वाल्मीकि की मौत की घटना निंदनीय है। भगवान वाल्मीकि जयंती के दिन उप्र सरकार ने उनके संदेशों के खिलाफ काम किया है। उच्चस्तरीय जांच व पुलिस वालों पर कार्रवाई हो व पीड़ित परिवार को मुआवजा मिले।”