Jyotish Shastra: आरती का अर्थ है भगवान को याद करना, उनके प्रति आदर का भाव दिखाना, ईश्वर का स्मरण करना और उनका गुणगान करना। आरती किसी भी उपासक को भगवान के प्रति पूरी तरह से समर्पित होने के भाव को दिखाती है। पूजा के बाद भगवान की आरती जरूर करते हैं लेकिन आरती का महत्व और इसका सही तरीका शायद कम ही लोग जानते होंगे।
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा का समापन हमेशा आरती से करने का मतलब यही है कि यह इस बात का संकेत है कि अब पूजन समाप्त हो गया है और हम भगवान से कुशलता की कामना करने वाले हैं। कहते हैं कि आरती करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं । धार्मिक शास्त्रों में भी आरती का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि बिना आरती के कोई पूजा या कार्य पूरा नहीं होता। ऐसे में आज हम आपको आरती का महत्व और इसे करने का सही तरीका बताएंगे।
भगवान विष्णु ने कहा: जो मेरी आरती उतारता है उसे स्वर्गलोक का फल-
भगवान विष्णु ने खुद कहा है कि जो व्यक्ति अनेक बत्तियों से युक्त और घी से भरे हुए दीप को जलाकर मेरी आरती उतारता है, वह कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में निवास करता है। जो प्राणी मेरे आगे होती हुई आरती का दर्शन करता है,वह अंत में परमपद को प्राप्त होता है। जो मेरे आगे भक्तिपूर्वक कपूर की आरती करता है, वह मनुष्य मुझ अनंत में प्रवेश कर जाता है। यदि मंत्रहीन और क्रियाहीन मेरा पूजन किया गया है,लेकिन वह मेरी आरती कर देने पर सर्वथा परिपूर्ण हो जाता है।
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आरती करने का तरीका-
पूजा के आरती करने का एक तरीका होता है। पूजा करने के बाद आरती की थाली को खास तरीके से सजाया जाना चाहिए. इसके लिए तांबे, पीतल और चांदी की थाली का उपयोग कर सकते हैं । आरती की थाली में रोली,कुमकुम,अक्षत,ताज़े पुष्प और प्रसाद रखा जाता है। इसके अलाला इसमें दीपक रखा जाता है और उसमें शुद्ध घी, या कपूर रखा जाता है। आप आरती के लिए आटे का दीया भी रख सकते हैं।
वास्तुदोष दूर करने के लिए करें आरती –
माना जाता है कि जिस घर पर प्रतिगिन आरती की जाती है वहां आस-पास नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती हैं। ऐसी जगहें सकारात्मकता से भरी होती हैं। इससे जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और पूजा का पूरा फल मिलता है।