Gudi Padwa: गुड़ी पड़वा का त्योहार का चैत्र महीने में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। गुड़ी पड़वा का अर्थ होता है विजय का पताका। गुड़ी अर्थात विजय पताका और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। इस साल गुड़ी पड़वा 22 मार्च 2023 को है।
गुड़ी पड़वा को हिन्दू चेट्टी चंद के नाम से मनाते हैं। इस दिन नवरात्रि भी प्रारंभ होती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुड़ी पड़वा चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन मनाया जाता है। एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के ही दिन सतयुग की भी शुरुआत हुई थी। इसलिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
(Gudi Padwa) गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त-
गुड़ी पड़वा का पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं, पूजा मुहूर्त की बात करें तो गुड़ी पड़वा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 7 बजकर 39 मिनट रहने वाला है।
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(Gudi Padwa) गुड़ी पड़वा कैसे मनाया जाता है-
गुड़ी पड़वा बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। लोगों ने अपने फर्शों को रंगोली से सजा कर गुड़ी पड़वा
का त्योहार मनाया अलग-अलग रंगों से बनी बहुरंगी फर्श की सजावट, एक अनोखा गुड़ी झंडा (जिसे विभिन्न फूलों से सजाया जाता है, साथ ही नीम और आम के पेड़ की पत्ति यों के साथ उल्टा चांदी या तांबे के कंटेनर के साथ शीर्ष पर रखा जाता है)। सड़कों पर जुलूस निकाले जाते हैं, लोग नाचते हैं और विशेष उत्सव के भोजन बनाते हैं। महाराष्ट्रियन लोग पूरन पोली, श्रीखंड और पूरी जैसे विभिन्न प्रकार के लोकप्रिय व्यंजन बना कर इस त्योहार को मनाते हैं।
(Gudi Padwa) गुड़ी पड़वा 2023 पर्व का महत्व-
गुड़ी पड़वा वसंत ऋतु के आगमन और फसलों की कटाई को दर्शाता है। गुड़ी पड़वा को हिंदू नववर्ष की शुरूआत माना जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस पर्व को कर्नाटक में युगादि, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उगादी के नाम से जाना जाता है। वहीं कश्मीर में ‘नवरेह’, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा कहा जाता है। इसके अलावा गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इसे संवत्सर पड़वो का पर्व मनाते हैं। साथ ही सिंधि समुदाय के लोग इस दिन चेती चंड का पर्व मनाते हैं।