Holashtak 2023: होलाष्टक सात मार्च को समाप्त होगा। आठ मार्च को होली (रंगोत्सव) मनाया जाएगा। इसके साथ ही वैवाहिक और मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे। मार्च में विवाह के लिए सिर्फ दो मुहुर्त है। आठ व नौ को ही शादियां होंगे। इसके बाद अगले 50 दिनों तक शहनाई नहीं बजेंगी। अप्रैल में एक भी मुहुर्त नहीं है। मई व जून में सर्वाधिक शादियां होंगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास शुरू हो चुका है। यह साल का आखिरी महीना है जो सात मार्च तक रहेगा। इन दिनों शुक्ल पक्ष होना शुभ माना जा रहा है। हिंदू कैंलेंडर के आखिरी दिनों यानी फाल्गुन शुक्ल पक्ष में महत्वपूर्ण व्रत-उपवास और त्योहार होते हैं। इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है।
फाल्गुन को माना जाता है ऊर्जा और यौवन का महीना-
फाल्गुन को ऊर्जा और यौवन का महीना माना जाता है। इस दौरान वातावरण खुशनुमा हो जाता है और हर जगह नई उमंग छा जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत ही शुभ है। फाल्गुन शिव जी, श्री कृष्ण और चंद्र देव की पूजा-उपासना का समय होता है। होली, महाशिवरात्रि आदि प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। मई में सबसे अधिक 14 मुहूर्त हैं और जून माह में सात हैं। इसके बाद चार महीने कोई मुहूर्त नहीं है। नवंबर में दो व दिसबंर में तीन है। साल का आखिरी लग्न 15 दिसंबर को होगा।
होलाष्टक में न करें शुभ कार्य
होली के त्यौहार यानि की होलिका दहन के ठीक आठ दिन पहले से होलाष्टक त्यौहार की शुरूआत होती है। मान्यता है कि इन आठ दिनों तक किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा आदि की जानी चाहिए। इस बार 8 मार्च को होली का त्यौहार है। मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं।
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(Holashtak) होलाष्टक की शुरूआत-
होलाष्टक की शुरूआत होलिका दहन के आठ दिन पहले से होती है। यानि की फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि से। इस बार यह तिथि 27 फरवरी को है। आपको बता दें कि इस वर्ष होलाष्टक की शुरूआत 28 फरवरी से होगी। वहीं ये 8 मार्च को खत्म हो जाएगा। किसी विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करने के लिहाज से यह समय काफी शुभ माना गया है।
Holashtak होलाष्टक के दौरान क्या करें-
होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य की मनाही होती है। इस दौरान अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, गृह आरंभ, मुंडन कर्म आदि कार्य किए जाने की मनाही होती है। इसके अलावा मकान और वाहन खरीदना या नए बिजनेस की शुरूआत नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में केवल स्नान-दान, जप-तप किया जाना चाहिए।
(Holashtak) होलाष्टक में क्या न करें-
शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन सहित अन्य सोलह संस्कार आदि नहीं करना चाहिए।
नया बिजनेस नहीं शुरू करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होने के कारण आपको बिजनेस में नुकसान हो सकता है।
किसी भी तरह का वाहन नहीं खरीदना चाहिए। अगर आपको वाहन खरीदना है तो होलाष्टक से पहले करा सकते हैं। होली के बाद ही वाहन को घर लाना शुभ होगा।
(Holashtak) होलाष्टक के समय पूजा, यज्ञ आदि का आपको पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा। इसलिए कोई पूजा आदि न रखवाएं।
होलाष्टक के समय किसी भी मकान निर्माण कार्य को न शुरू करवाएं। इसके अलावा गृह प्रवेश की भी मनाही होती है।
(Holashtak) होलाष्टक की कहानी
मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के जिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक असुर हिरण्यकश्यप ने होली दहन के आठ दिन पहले भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रहलाद को बंदी बना लिया था। इन 8 दिनों में उसने प्रहलाद को कई तरह की यातनाएं दी थीं। इसके बाद भी जब वह प्रहलाद को भगवान श्रीहरि का स्मरण किए जाने से नहीं रोक पाया तो अपनी बहन होलिका से उसके प्राण लेने का आदेश दे दिया था। इसी कारण से इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य किए जाने की मनाही होती है।