Importance Of Bel Patra: महाशिवरात्रि आने वाला है, इस त्यौहार में शिव भक्तों का मंदिरों में तांता लगा रहता है हर कोई अपने आराध्य देव शिव जी की पूजा कर शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र चढ़ाते है। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों के हर कष्ट को दूर कर देते है। कहते है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढाने से शिव जी कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।
एक बार भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए हलाहल विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा। बेलपत्र और जल चढ़ाने से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी। मान्यता है कि भगवान शिव को बेलपत्र ज्यादा प्रिय हैं और अगर शिवलिंग पर बेलपत्र और जल चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाए तो धन के अलावा इंसान की अन्य समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम-
बेलपत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालु को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए अगर आप भी भोलेनाथ की विशेष कृपा पाना चाहते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव को बेलपत्र जरूर चढ़ाएं।
आइए जानते है कि भगवान शिव को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों –
बेलपत्र का महत्व: बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव) तो कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम) तो कहीं तीन आदि ध्वनियों (जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं बनता है) का प्रतीक माना जाता है। बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है।
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कथा
जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा। चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया। बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी।
इन बातों का रखें ध्यान-
– शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र चढ़ाएं।
– बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें।
– जब भी भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र चढ़ाने के बाद जल जरूर अर्पण करें।
– बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय‘ मंत्र का जाप भी करें।
-11 या 21 बेलपत्र जो आपने स्वच्छ किए है उनके हर पत्ते पर चंदन से ॐ बना दीजिए और इत्र छिड़ककर शिवलिंग पर ‘‘ॐ नमः शिवाय‘‘ मंत्र का जाप करते हुए सभी बेल पत्र चढ़ा दीजिए।