Somvati Amavasya
Somvati Amavasya

Somvati Amavasya: हर माह के पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या तिथि होती है। इस साल फाल्गुन माह की अमावस्या 20 फरवरी सोमवार को है। सोमवार के दिन अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने जाते हैं। माँ चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरू पं. रामजीवन दुबे ने बताया कि इस दिन स्नान-दान करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली आती है। इस साल फाल्गुन अमावस्या बेहद खास मानी जा रही है। फाल्गुन अमावस्या पर शुभ योग – संयोग बन रहे हैं जो इसके महत्व में वृद्धि करेगा। इस दिन शिव योग है।

सोमवती अमावस्या मुहूर्त-

फाल्गुन सोमवती अमावस्या तिथि शुरू- 19 फरवरी , शाम 04.18

फाल्गुन अमावस्या तिथि समाप्त – 20 फरवरी , दोपहर 12.35

स्नान- दान मुहूर्त – सुबह 07.00 – सुबह 08.25 (20 फरवरी 2023)

पूजा मुहूर्त – सुबह 09.50 – सुबह 11.15 (20 फरवरी 2023)

सोमवती अमावस्या शुभ योग-

पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त हैं। विशेषकर सोमवती अमावस्या पर पूजा और तर्पण का दोगुना फल मिलता है। इस साल की फाल्गुन अमावस्या पर सोमवार और शिव योग का संयोग बन रहा है। ये दिन और योग दोनों ही महादेव को समर्पित हैं। ऐसे में इस दिन भोलेनाथ की साधना, मंत्र जाप, तप, श्राद्ध कर्म करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होगा।

शिव योग: 20 फरवरी 2023, सुबह 11.03 – 21 फरवरी 2023, सुबह 06.57

सोमवती अमावस्या पर करें ये 3 काम-

फाल्गुन माह की सोमवती अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान के बाद पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म करें। उसके बाद 5 माला गायत्री मंत्र का जाप करें। मान्यता है इससे हर तरह के संकट का नाश होता है। जीवन में सुख का वास होगा और धन की वर्षा होती है।

 सोमवती अमावस्या के दिन दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, शक्कर से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें, ऊं नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे चंद्रमा मजबूत होता है, फिर चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। मान्यता है इससे कालसर्प दोष से राहत मिलती है।

Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या में शिव-पार्वती की पूजा का महत्व, जानें व्रत का मुहूर्त

एक लोटा जल, हर समस्या का हल।

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल पर कच्चा सूत 108 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें।

पांच तरह के फल भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अर्पित करें। बाद में इन्हें कन्याओं को दान कर दें। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर ये कार्य करने से सुहागिनों को अखंड सौभग्य का वरदान मिलता है और आर्थिक समस्याएं खत्म हो जाती है। संतान भी चिरंजीवी होती है।

पवित्र नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, क्षिप्रा, में लाखों भक्त डुबकी लगाएंगें। यदि नदियों में स्नान संभव न हो तो घर में ही नर्मदा और गंगााजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।