Surya Grahan 2023: साल का पहला सूर्य ग्रहण अगले महीने लग रहा है। हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है और इसे लेकर वेदों व पुराणों में कई बातें कही गई हैं। सूर्य व चंद्र ग्रहण को खगोलिय घटना माना जाता है लेकिन धार्मिक रूप से ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि ग्रहण के समय सूर्य पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है और सूरज ग्रसित हो जाता है, जिसकी प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं पर पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, साल का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल दिन गुरुवार को लग रहा है। साल का यह पहला सूर्य ग्रहण ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा। इस सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मेष राशि में होंगे और ग्रहण के दो ही दिन बाद गुरु मेष राशि में आकर सूर्य से संयोग करेंगे। ऐसे में यह सूर्य ग्रहण कैसा रहेगा और इसका कैसा प्रभाव रहेगा। आइए जानते हैं साल के पहले सूर्यग्रहण को लेकर क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र।
ग्रहण की तिथि-
20 अप्रैल को सूर्य पर लग रहा ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगा। सूर्य ग्रहण का खग्रास 8 बजकर 7 मिनट पर होगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी। ।
इन राशियों पर होगा प्रभाव-
ग्रहण के समय सूर्य मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में घटित होंगे। इसलिए इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मेष राशि वालों पर रहेगा। ग्रहण के समय मेष राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है। इसके साथ सिंह राशि, कन्या राशि, वृश्चिक राशि और मकर राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण काफी उतार-चढ़ाव लेकर आएगा। वहीं वृषभ राशि, मिथुन राशि, धनु राशि और मीन राशि वालों पर इसका शुभ प्रभाव पड़ेगा।
Sheetala Ashtami: होली के 8वें दिन करें बसौड़ा पूजा, जानें पूजा की विधि
इस तरह लगता है सूर्य ग्रहण-
विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, तब चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की। कभी-कभी चंद्रमा, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी को रोक लेता है, जिससे धरती पर कुछ समय के लिए अंधेरा हो जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य और चंद्रमा की यह घटना हमेशा अमावस्या तिथि को ही होती है।
पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रहण का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है। जब मंथन के दौरान समुद्र से अमृत निकला था, तब असुरों ने उसे चुरा लिया था। असुरों से अमृत पाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। मोहिनी ने असुरों को मोहित कर अमृत ले लिया और देवताओं के पास चली गईं, जिससे अमृत को देवताओं में बांटा जा सके और सभी देवता अमर हो जाएं।
उस वक्त मोहिनी रूपी भगवान विष्णु की चाल स्वरभानु नामक राक्षस को पता चल गई और वह देवताओं को भेष धारण कर अमृत पीने देवताओं के बीच बैठ गया। इस बात का पता सूर्य और चंद्र देव को चल गया कि एक राक्षस देवताओं के बीच आकर बैठ गया है। इस बात से क्रोधित होकर मोहिनी ने सुदर्शन चक्र से राक्षस का गला काट दिया लेकिन तब तक उसके गले से अमृत की घूंट नीचे चली गई और वह अमर हो गया। स्वरभानु के गले को राहु और बाकी शरीर का हिस्सा केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ग्रहण के रूप में राहु सूर्य देव और चंद्र देव से बदला लेने के लिए आता है इसलिए हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता।
(Surya Grahan) सूर्य ग्रहण के दौरान बरतें ये सावधानी-
ग्रहण के समय घर से बाहर ना निकलें। सूर्य ग्रहण को कभी भी नंगी आंखों से ना देखें। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं पूजा-पाठ करें। सूर्य ग्रहण के समय किसी नुकीली चीज से दूर रहें। सूर्य ग्रहण के समय अनैतिक कार्य करने से बचें।
(Surya Grahan) सूर्य ग्रहण के बाद करें ये काम-
सूर्य ग्रहण के बाद घर की साफ-सफाई करें।
पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और सभी देवी-देवताओं को स्नान कराएं।
सूर्य ग्रहण के दौरान या बाद में दान अवश्य करें और गाय को हरा चारा खिलाएं
पितरों को तर्पण दें।
गर्भवती महिलाएं ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करें।