दिवाली पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोगों ने पटाखे फोड़ने और आतिशबाजी करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उसका नतीजा अब सामने आ रहा है। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का मानक शनिवार सुबह तक भी गंभीर श्रेणी में है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 533 है। शुक्रवार को तो दिल्ली में हवा की गुणवत्ता और भी ज्यादा खराब थी। दिल्ली के जनपथ में हवा में PM 2.5 की मात्रा 655.07 मापी गई थी।
कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स की ऊपरी सीमा पार हो गई थी, यानी हवा इतनी जहरीली थी कि उसे मापने के लिए इंडेक्स कम पड़ गया था। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में 7 नवंबर के बाद ही प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद है। राजधानी दिल्ली ही नहीं, देश के और भी राज्यों में प्रदूषण का असर दिखने को मिल रहा है। इसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश भी शामिल हैं।
दिल-फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोग रखें विशेष सावधानी
चिकित्सकों का मानना है कि पटाखों का यह प्रदूषण लोगों की सेहत को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा सकता है। खासतौर से बुजुर्गों को और उन लोगों को जिन्होंने कोरोना को मात दी है। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉ अशोक सेठ का कहना है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर बहुत खतरनाक हो गया है। जिन लोगों को फेफडों या दिल संबंधी रोग हैं उनके लिए इस हवा में सांस लेना घातक हो सकता है। प्रदूषण की वजह से सांस लेने में दिक्क्त होती है, ऐसे में जिनको पहले से ही अस्थमा या कोई और श्वसन संबंधी रोग है, उसके और अधिक बिगड़ने की आशंका है।
बुजुर्गों को दिल का दौरा पड़ने की संभावना
बारूद के धुएं से सबसे अधिक खतरे में बुजुर्ग हैं। प्रदूषण से हृदय की नलिकाएं भी सूज जाती हैं, ऐसे में ब्लड क्लॉटिंग होने से दिल का दौरा पड़ने की भी आशंका रहती है। उन्होंने बताया कि कोविड से ठीक हुए लोग भी खतरे में हैं। अधिकतर लोगों का कोरोना में फेफड़ों से जुड़ी तकलीफ हुई होगी, जिसका कुछ असर अब भी होगा। पटाखों की जहरीली हवा उन लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है।