Kuno National Park

Kuno National Park: चीता परियोजना के तहत दक्षिण अफ्रीका से 12 अफ्रीकी चीते शनिवार (18 फरवरी) को भारत आएंगे और उनके ट्रांसफर के लिए मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आवश्यक व्यवस्था की जा रही है। यह जानकारी प्रोजेक्ट हेड एसपी यादव ने दी। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पिछले महीने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर सिग्नेचर हुए थे, जिसके तहत चीते भारत पहुंच रहे हैं।

एसपी यादव ने एएनआई से बात करते हुए कहा, “कैमरे लगाए गए हैं और चीतों की लाइव ट्रैकिंग के लिए रेडियो कॉलर लगाया गया है। इस बार हमने जो क्वारंटाइन बाड़ा बनाया है, वह पिछले वाले से बेहतर है।”

12 चीतों के लिए प्रशासन ने आवश्यक व्यवस्था की है ताकि चीतों को उनके रहने में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। यहां हम आपके लिए लाए हैं, कुछ प्वॉइंट, जो आपको जानने की जरूरत है-

  1. दक्षिण अफ्रीका से चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया जाएगा। इसके बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।
  2. भारतीय वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर कार्गो विमान शुक्रवार को रात 8 बजे जोहान्सबर्ग के ओ आर टांबो अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरेगा।
  3. दो अलग-अलग रिजर्व के चीतों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाए गए टोकरे में रखा जाता है।
  4. भारतीय वायु सेना के कार्गो विमान में चालक दल के 11 सदस्य, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के आईजी, डीआईजी, पशु चिकित्सक और सीमा शुल्क अधिकारी हैं। दक्षिण अफ्रीका के चीता विशेषज्ञ भी विमान में उड़ान भरेंगे।
  5. इसके बाद सभी चीतों को एक महीने के लिए क्वारंटाइन में रखा जाएगा।
  6. 10 क्वारंटाइन बूमर लगाए गए हैं। यादव ने कहा कि दो-दो चीते दो बाड़ों में रहते हैं और बाकी चीतों को अलग-अलग क्वारंटीन बूमर में रखा जाएगा।
  7. यहां लाए जा रहे 12 चीतों को तकनीकी आधार पर चुना गया है। इन सभी को रेडियो कॉलर लगाया गया था और 30 दिनों के लिए क्वारंटाइन में रखा गया था।
  8. उन्हें पूरी तरह से टीका लगाया गया है और उनकी गतिविधियों को एक सैटेलाइट नेटवर्क के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा।
  9. कूनो नेशनल पार्क में चीतों की रिहाई के मौके पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहेंगे।
  10. भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना-चीता परियोजना के अंतर्गत वन्य प्रजातियों विशेषकर चीतों का पुनःप्रवेश इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है।