नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि चीन भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इसके साथ ही चीन द्वारा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भेजे गए हजारों सैनिकों और हथियारों की वापसी में बहुत वक्त लगेगा। सीडीएस ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न दो पड़ोसियों के बीच सीमा विवाद खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसे सुलझाने की कोशिशों में आपसी विश्वास की कमी और संदेह बाधक है।
पिछले माह दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत गतिरोध के साथ समाप्त हुई, क्योंकि चीन और भारत दोनों देश इस बात को लेकर सहमत नहीं थे कि सीमा से कैसे आगे सैनिकों को वापस बुलाना है?
किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए तैयार है भारत
पिछले साल से ही एलएसी पर तनाव के के कारण दोनों ही देश सैनिकों के साथ हथियार सीमा पर बढ़ाने में जुट गए हैं। सीडीएस जनरल रावत ने कहा कि भारत सीमा पर और समुद्र में किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए तैयार है। जनरल रावत ने आगे कहा कि चीनी (एलएसी के पास) गांव बसा रहे हैं और भविष्य में इनका इस्तेमाल फौजियों के ठिकाने के रूप में हो सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव के बाद चीन ने यह कदम उठाया है।
भविष्य के लिए चिंता का विषय
सीडीएस ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का भारत पर भविष्य में होने वाले असर को लेकर भी चिंता जाहिर की और कहा कि जम्मू-कश्मीर में इसके जरिए आतंकवाद को बढ़ावा देने का प्रयास कर सकता है। जनरल रावत ने कहा कि चीन और तालिबान के साथ पाकिस्तान से जुड़े सुरक्षा मामलों ने भारतीय सेना के लिए नार्दन और वेस्टर्न बॉर्डर के साथ थिएटर कमांड पुनर्गठित करने पर जोर दिया है।