नई दिल्ली । शराब कांड में फंसे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को राहत मिलेगी या उनकी मुश्किलें और बढ़ेगी, यह कुछ देर में तय हो जाएगा। बता दें कि शराब भ्रष्टाचार मामले में सिसोदिया की 5 दिन की सीबीआई रिमांड शनिवार को खत्म हो रही है। उन्हें सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार कर 27 फरवरी को अदालत में पेश किया था। दिल्ली की एक अदालत आज पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी।
राउज एवेन्यू कोर्ट में दी थी जमानत की अर्जी
सिसोदिया ने एक्साइज पॉलिसी से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में जमानत के लिए राउज एवेन्यू कोर्ट में अर्जी दी है। गिरफ्तारी के बाद सिसोदिया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस बीच, दिल्ली के स्कूली बच्चों के सिसोदिया के समर्थन में पोस्टर बनाने पर राजनीति हो रही है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी जबरन बच्चों से ऐसा करवा रही है।
पिछले सुनवाई पर अदालत में क्या हुआ था
स्पेशल जज (पीसी एक्ट) एमके नागपाल ने दोनों पक्षों की दलीलें और रिमांड अर्जी में सीबीआई की ओर से दिए गए आधार पर गौर करते हुए रिमांड का आदेश दिया था। सीबीआई की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर पंकज गुप्ता और प्रणीत शर्मा पेश हुए और सिसोदिया के खिलाफ केस को अदालत के सामने रखा। आरोप लगाया कि अभी तक की जांच से यह खुलासा हो रहा है कि सिसोदिया ने कथित अपराध में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने बतौर आबकारी मंत्री कैबिनेट नोट में छेड़छाड़ करते हुए कुछ बदलाव किए, जिसे ड्राफ्ट पॉलिसी और एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट के साथ रखा गया था।
जांच एजेंसी का आरोप, शराब कारोबारियों को पहुंचाया गया लाभ
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि संबंधित नोट सिसोदिया के कंप्यूटर से आउट होकर साउथ के शराब कारोबारियों की लॉबी तक पहुंचा, ताकि उस दौरान शराब की बिक्री में मोनोपोली स्थापित की जा सके। आरोपों के मुताबिक ऐसा इसीलिए किया गया ताकि विजय नायर ने हवाला के विभिन्न चैनलों के माध्यम से साउथ की लॉबी से एडवांस में जो 80 से 100 करोड़ रुपये लिए, उसके बदले में उन्हें लाभ पहुंचाया जा सके।
एजेंसी का कहना सबूतों को नष्ट करने की कोशिश
दावा किया कि सिसोदिया के खिलाफ इन आरोपों से जुड़े कुछ मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य जांच एजेंसी के हाथ लगे हैं। यह भी कहा कि आरोपी ने उक्त आरोपों से जुड़े सबूत नष्ट करने की भी कोशिश की। जांच एजेंसी का कहना है कि आप नेता को दो बार 41ए सीआरपीसी का नोटिस दिया गया, पर उन्होंने कभी भी जांच में सहयोग नहीं किया, इसीलिए उन्हें गिरफ्तार करना जरूरी हो गया था।