नई दिल्ली। कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए भारत में भी बूस्टर डोज लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। इंडियन सार्स-कोविड-2 जेनेटिक कंसोर्शियम के साइंटिस्ट ने 40 साल से ऊपर के लोगों के लिए बूस्टर डोज की सिफारिश की है।

कंसोर्शियम ने कहा है कि 40 साल से अधिक की उम्र वालों को बूस्टर डोज लगाई जाना चाहिए। इसमें भी फोकस उन लोगों पर अधिक रखा जाए, जिन्हें खतरा ज्यादा है। बता दें कि इंडियन सार्स-कोविड-2 जेनेटिक कंसोर्शियम कोरोना वायरस के जीनोम वैरिएशंस पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गईं लैब्स की टॉप बॉडी है।

क्यों जरूरी है बूस्टर डोज ?
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के माइक्रो वायरोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सत्येंद्र सिंह ने बताया कि जिन लोगों को सेकेंड डोज दिए 6 से 9 महीने हो गए हैं उन्हें बूस्टर डोज देना चाहिए, क्योंकि 6 से 9 महीने में एंटीबॉडी कम हो जाती है। यही कारण है कि इन्फ्लुएंजा वैक्सीन का भी एक साल में डोज दिया जाता है।

देश में बूस्टर डोज पर पॉलिसी कब तक ?
देश की कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि सरकार गंभीर रोगियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज (एडिशनल डोज) पर नई पॉलिसी लाने जा रही है। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (एनटीएजी) 15 दिन में पॉलिसी बना लेगा।