मुंबई। 26 नवंबर 2008 को अपने पिता के साथ ट्रेन पकड़ने का इंतजार कर रही 9 साल की देविका के पैरों में अचानक एके-47 की गोली लग गई। देविका पूरे एक दिन तक बेहोश रही। होश आया तो वो अस्पताल में थी। सर्जरी के बाद उसके पैरों से वो गोली निकाली गई। देविका ने अदालत में अजमल कसाब की पहचान की थी।
9 साल की देविका रोटावन अब 22 साल की हो गई है। देविका की गवाही के बाद कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए 3 मई 2010 को उसे  80 मामलों में दोषी ठहराया गया था। उसके खिलाफ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने हमला करने और बेगुनाहों का खून बहाने का दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने 6 मई 2010 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। कसाब 21 नवंबर 2012 में पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई और वहीं पर दफना भी दिया गया था।
देविका ने उस रात काली रात के खौफनाक मंजर को याद करते हुए बताया कि जैसे ही गोलियों की आवाज के बाद उसने दूसरों के साथ भागने की कोशिश की तो वह लड़खड़ा गई, क्योंकि वह सुन्न पड़ गई थी। उसे दर्द महसूस हो रहा था। उसने देखा कि उसके दाहिने पैर से खून बह रहा था। उसने बताया कि सर्जरी करने के बाद गोली तो निकाल दी गई पर बाद के तीन वर्षों में छह अन्य प्रमुख ऑपरेशनों के बाद ही वह पूरी तरह से चलने-फिरने लायक हो पाई।