वाराणसी। पीएम मोदी ने जनता से 3 संकल्प मांगते हुए कहा कि मेरे लिए तो जनता जनार्दन है ईश्वर का ही रूप है। जैसे सब भगवान से मांगते हैं। मैं आपसे कुछ मांगना चाहता हूं। मैं आपसे अपने लिए, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं। मेरा स्वच्छता, सृजन और तीसरा आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास है। हमारा आत्मनिर्भर होना जरूरी होगा। जब हम ऐसी चीजों को खरीदेंगे जिसे बनाने में भारतीय का पसीना बहा हो। तभी हम इसमें मदद कर पायेंगे।

पीएम ने कहा कि स्वच्छता जीवनशैली होती है। स्वच्छता अनुशासन होता है। गंगा की स्वच्छता के लिए कितने ही प्रयास चल रहे हैं। जब भारत का युवा कोरोना के इस मुश्किल समय में सैकड़ों स्टार्टअप बना सकता है। सदियों की गुलामी ने जो हमपर प्रभाव डाला है, उससे आज का भारत उससे बाहर निकल रहा है। आज का भारत सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार ही नहीं करता बल्कि समुद्र में हजारों किलोमीटर फाइबर केबल भी बिछा रहा है।

उक्त विचार मोदी ने आज काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। पीएम ने इससे पहले गंगा में डुबकी लगाई और पवित्र जल लेकर भगवान शिव को अर्पित किया और पूजा की। इस अवसर पर पीएम मोदी ने काशी के गौरवपूर्ण इतिहास को याद किया। पीएम मोदी ने शिवाजी और राजा सुहलदेव से लेकर होल्कर की महारानी और महाराजा रणजीत सिंह के योगदान को भी याद किया।

काशी ने जब भी करवट लिया, देश का भाग्य बदला
पीएम मोदी ने कहा कि जब भी काशी ने करवट ली है, कुछ नया किया है। देश का भाग्य भी बदला। पिछले 7 साल से काशी में चल रहा विकास का महायज्ञ आज एक नई ऊर्जा को प्राप्त किया है। चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो हम भारतीय मिलकर उसे प्राप्त कर सकते हैं। विनाश करने वाले की शक्ति भारत की भक्ति से बड़ी नहीं हो सकती है।

पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह को भी किया याद

पंजाब से महाराजा रणजीत सिंह ने 23 मन सोना चढ़ाया था। इसके शिखर पर सोना चढ़ाया था। पंजाब के लोगों ने काशी पुनर्निमाण के लिए दिल खोलकर दान दिया था।

काशी शब्दों का नहीं संवेदनाओं का विषय
मोदी ने कहा कि ज्ञान, शोध और अनुसंधान ये काशी और भारत के लिए निष्ठा रही है। धरती के सभी क्षेत्र में काशी मेरा ही शरीर है। इसलिए यहां का हर पत्थर शंकर है। इसलिए हम अपनी काशी को सजीव मानते हैं। काशी जीवत्व को सीधे शिवत्व से जोड़ती है। बनारस वो नगर है जहां शंकराचार्य को श्री डोम राजा से एकता का सूत्र मिला।काशी के बारे में जितना बोलता हूं, उतना ही डूबता जाता हूं। काशी शब्दों का विषय नहीं काशी संवेदनाओं का विषय है। काशी वो है जहां मृत्यु भी मंगल है। काशी वो है जहां प्रेम ही परंपरा है।

औरंगजेब आता है तो शिवाजी उठ खड़े होते हैं
पीएम ने कहा कि यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की! लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। आज समय का चक्र देखिए। आतंक के वे पर्याय इतिहास के काले पन्नो तक सिमटे रह गए हैं। मेरी काशी आगे बढ़ रही है। अपने गौरव को फिर से नई भव्यता दे रही है।

कॉरिडोर बनाने वाले श्रमिकों को भी किया याद
पीएम मोदी कहा कि आज मैं उन सभी श्रमिक भाई-बहनों को भी याद करना चाहता हूं। कोरोना के विपरित काल में भी उन्होंने काम नहीं रुकने दिया। मुझे श्रमिक साथियों का आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला। वो परिवार जिनके यहां घर हुआ करते थे, मैं सभी का अभिनंदन करना चाहता हूं। मैं यूपी सरकार कर्मयोगी सीएम योगी आदित्यनाथ का भी अभिनंदन करना चाहता हूं।

काशी तो अविनाशी है
पीएम ने कहा कि जब मैं बनारस आया था तो विश्वास लेकर आया था। विश्वास अपने से ज्यादा बनारस के लोगों पर था। आप पर था। आज हिसाब किताब का समय नहीं है, लेकिन मुझे याद है कुछ लोग ऐसे भी थे जो बनारस के लोगों पर संदेह करते थे। कैसे होगा, होगा ही नहीं, यहां तो ऐसे ही चलता है। ये मोदी जी जैसे आकर बहुत लोग गए। मुझे आश्चर्य होता था कि बनारस के लिए ऐसी धारणाएं बना ली गई थी।थोड़ी बहुत राजनीति थी। थोड़ा बहुत लोगों का निजी स्वार्थ था। इसलिए बनारस पर आरोप लगाए गए थे। लेकिन काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है।

दिव्यांग जनों, बुजुर्ग को होगा लाभ
पीएम ने कहा कि पहले मंदिर क्षेत्र जो केवल 3 हजार वर्गमीटर में था वह अब 5 लाख फीट का हो गया है। अब मंदिर परिसर में 70 हजार श्रद्धालु आ सकेंगे। यही तो है हर हर महादेव। अब विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के पूरा होने से कारण यहां सबका आना सुलभ हो गया। दिव्यांग भाई-बहन, बुजुर्ग लोग सीधे मंदिर तक आ सकेंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि जब मां गंगा उन्मुक्त होंगी, प्रसन्न होगी। तो हम गंग तरंग की कलकल का हम दैवीय अनुभव कर सकेंगे। मां गंगा सबकी हैं। उनका आशीर्वाद सबके के लिए है। लेकिन समय और परिस्थितियों के चलते बाबा और मां गंगा की सरलता मुश्किल हो चली थी। काशी में आपको अतीत के गौरव का भी अहसास होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एकसाथ सजीव हो रही है। इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथधाम परिसर में हम कर रहे हैं।