शिंदे गुट को मिला तीर कमान, अब क्या करेंगे उद्धव ठाकरे, नाम भी गया हाथ से

पहली बार ठाकरे परिवार ने खोया पार्टी से नियंत्रण

Shiv Sena
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मुंबई। निर्वाचन आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के एक दिन बाद प्रतिद्वंद्वी खेमे के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भविष्य के कदम पर चर्चा करने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों की शनिवार को बैठक बुलाई है।

ठाकरे के एक सहयोगी ने कहा कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेताओं, उप नेताओं, निर्वाचित प्रतिनिधियों और प्रवक्ताओं की बैठक दोपहर में उपनगरीय बांद्रा स्थित ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ में होगी। ठाकरे को बड़ा झटका देते हुए निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ आवंटित किया।

पहली बार ठाकरे परिवार ने खोया पार्टी से नियंत्रण

यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार ने 1966 में बालासाहेब ठाकरे बनाई गई पार्टी से नियंत्रण खो दिया है। पार्टी ने हिंदुत्व को अपनी प्रमुख विचारधारा के रूप में अपनाया था और 2019 तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन था, जब उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने के लिए गठबंधन तोड़ दिया था।

छह महीने पहले दायर याचिका पर दिया आदेश

तीन सदस्यीय आयोग ने शिंदे द्वारा दायर छह महीने पहले दायर याचिका पर एक सर्वसम्मत आदेश में कहा कि उसने फैसला लेते समय विधायक दल में पार्टी के संख्या बल पर गौर किया जिसमें मुख्यमंत्री को 55 विधायकों में से 40 विधायक और 18 सांसदों में से 13 का समर्थन प्राप्त है। शिंदे ने पिछले साल जून में ठाकरे से नाता तोड़ लिया था और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में सरकार बना ली थी।

उच्चतम न्यायालय में देंगे आदेश को चुनौती

आयोग ने अपने आदेश में कहा कि शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 40 विधायकों ने कुल 47,82,440 मतों में से 36,57,327 मत प्राप्त किए, जो 55 विजयी विधायकों के पक्ष में डाले गए मतों का लगभग 76 प्रतिशत है। यह 15 विधायकों द्वारा प्राप्त 11,25,113 मतों के मुकाबले था, जिनके समर्थन का दावा ठाकरे गुट द्वारा किया जाता है। ठाकरे ने शुक्रवार को निर्वाचन आयोग के फैसले को ‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक’ करार दिया था और कहा था कि वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे, जबकि मुख्यमंत्री शिंदे ने इस घटनाक्रम को ‘सच्चाई और लोगों की जीत’ बताया।