H3N2 Virus Symptoms and Treatment
H3N2 Virus Symptoms and Treatment

H3N2 Influenza Virus: कोरोना वायरस की तरह ही देश भर में एच3एन2 वायरस फैला रहा है। इंफ्लुएंजा वायरस के अधिकरतर मरीजों में सर्दी- खांसी के लक्षण देखें जा रहे है। आज हम आपको इस लेख में इंफ्लुएंजा वायरस से होने वाली सर्दी- खांसी को दूर करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताएंगे।

सांस से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज करने आपको भारी पड़ सकता-

सर्दी-खांसी आपको परेशान करती है तो घरेलू उपचार से आप बचाव कर सकते हैं। इस मौसस में अगर सर्दी-खांसी का इलाज नहीं किया गया तो यह आपको गहराई से और लंबे समय तक जकड़ सकती है। इस समय महामारी चल रही और सांस से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज करने आपको भारी पड़ सकता है। भारत में इन दिनों इंफ्लुएंजा वायरस ‘एच3एन2 वायरस‘ ने कोहराम मचा रखा है।

इस वायरस से अब तक सात लोगों की मौत हो गई है। अब तक हल्के माने जा रहे इस वायरस से आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2 जनवरी से 5 मार्च के बीच एच3एन2 वायरस के 451 मामले सामने आए हैं।

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एच3एन2 वायरस के  लक्षण –

(H3N2 Virus) एच3एन2 वायरस की चपेट में आने पर मरीजों में सांस और गले से जुड़ी समस्याएं देखी जा रही हैं। ज्यादातर मरीज शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, दस्त, उल्टी, खांसी, गले में खराश, नाक बहना और सिरदर्द जैसे लक्षण महसूस कर रहे हैं। संक्रमित व्यक्ति जब खांसता, छींकता या बात करता है, तो यह वायरस फैलता है। मरीजों को सबसे ज्यादा खांसी परेशान कर रही है। आयुर्वेद क्लिनिक‘ के आपको खांसी से निपटने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय बता रहे हैं।

खांसी में छाती में दर्द होता-

डॉक्टर का मानना है कि इस संक्रमण की चपेट में आने वाले मरीजों में खांसी सबसे आम लक्षण है। चिंता की बात यह है कि खांसी एक महीने से अधिक रह सकती है। कई मामलों में खांसी इतनी जोर से होती है कि छाती में दर्द होता है और कुछ मरीजों की तो पसलिया भी फ्रैक्चर हो जाती है।

तुलसी का काढ़ा-

आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के पत्तों में सर्दी-खांसी से लड़ने की ताकत होती है। तुलसी एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ाती है जिससे किसी भी संक्रमण की शुरुआत को रोका जा सकता है। तुलसी में कफ से राहत देने वाले गुण होते हैं। यह चिपचिपे बलगम को बाहर निकालने में आपकी मदद करके वायुमार्ग को शांत करती है।

तुलसी का काढ़ा बनाने की विधि-

कुछ पत्ते तुलसी के लें। इसे अच्छे से धो लें।
एक पैन में पानी उबालें, उसमें तुलसी के पत्ते डालें।
इसमें 1 छोटा चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक और 5-6 काली मिर्च डालें।
मिश्रण को कम से कम 10 मिनट तक उबालें।
आखिर में एक चुटकी काला नमक मिलाकर उसमें आधा नींबू निचोड़ लें।
इसे 1 मिनट के लिए लगा रहने दें।
इसे छानकर गर्म ही पिएं।

अदरक और शहद का इस्तेमाल

(Honey) शहद गाढ़े बलगम को ढीला करके और उसे खांसी से बाहर निकालता है और आपको छाती की जकड़न से राहत देता है। यह गीली खांसी को कम करने में मदद करता है।

खांसी को कम करने के लिए रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद का सेवन करें। खांसी से आराम न मिलने तक इसे जारी रखें। इसके अलावा 1 चम्मच शहद लें और उसमें 1 चम्मच अदरक का रस और 1 चुटकी काली मिर्च मिलाएं।
गले की खराश और खांसी से राहत पाने के लिए एक बार सुबह और एक बार रात को सोने से पहले लें।

मुलेठी: मुलेठी खांसी के लिए एक प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। मुलेठी पाउडर गले की खराश और खांसी को ठीक करता है। यह वायुमार्ग में जमा बलगम को बाहर निकालती है। यह वायुमार्ग के अंदर के बलगम को पतला और ढीला करता है। इसके लिए 1 चम्मच मुलेठी पाउडर लें और 1 गिलास गर्म पानी में डालें। इसे दिन में दो बार पिएं। आप मुलेठी की चाय भी पी सकते हैं।

सौंठ : सौंठ को हर्बल कफ सिरप माना जाता है। इसे शहद के साथ लेने से खांसी और सर्दी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गले की खराश को कम करने में मदद करता है। आप इसे शहद के साथ ले सकते हैं। 1/4 चम्मच सौंठ लें और उसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। इसे कम से कम 3 दिनों के लिए दिन में दो बार लें।

गिलोयः गिलोय को अमृता या गुडुची के नाम से भी जाना जाता है। यह सर्दी और खांसी को कंट्रोल करने में मदद करता है। यह कोल्ड और टॉन्सिलिटिस का बढ़िया इलाज है, साथ ही यह इम्यूनिटी को मजबूत बनाती है। यह बार-बार होने वाली खांसी के साथ-साथ गले की खराश को कम करने में मदद करता है। इसके लिए आप दो चम्मच गिलोय का रस सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ ले सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

ऊपर बताए उपायों के अलावा आप गर्म पानी में नमक डालकर गरारे कर सकते हैं। इसके अलावा लवंगगादी वटी चूसने से फायदा हो सकता है, आपको पूरे दिन में कम से कम 10 गोली चूसनी है। अगर बुखार भी है, तो महासुदरसन धनवटी या त्रिभुवन किरती रस ले सकते हैं।

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है।