Silent Heart Attack : खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान की आदतों के कारण साइलेंट हार्ट अटैक के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जिसमें युवाओं की अचानक हार्ट अटैक होने से मौत हो गई। आप जानते हैं कि हार्ट अटैक की ये परेशानी उन युवाओं में भी हो रही है जिन्हें ना ब्लड प्रेशर है, ना ही डायबिटीज।
हाल ही में दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक फिल्म निर्देशक और अभिनेता सतीश कौशिक का 66 साल की उम्र में हार्ट अटैक होने से निधन हो गया। हाल के वर्षों में हार्ट अटैक के मामलों में काफी तेजी देखी गई है। अब सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि 30 साल से कम उम्र के लोगों को भी दिल का दौरा पर रहा है। ये दबे पांव आता है और जान लेकर चला जाता है। साइलेंट हार्ट अटैक बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता है, जिसका खतरा खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान की आदतों के कारण बढ़ गया है। आज हम साइलेंट हार्ट अटैक से जुड़ी बातों को विस्तार से समझेंगे और ये भी जानेंगे कि ये नॉर्मल हार्ट अटैक की तुलना में कितना अलग है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में हर चौथी मृत्यु हृदय या धमनियों से सम्बंधित बीमारियों की वजह से होती है। इनमें सबसे प्रमुख है हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक। हमारा हृदय एक पंप है जिसका कार्य है पूरे शरीर को खून की आपूर्ति करना। हृदय को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो उसे कोरोनरी धमनियों द्वारा रक्त पहुंचाकर उपलब्ध करवाई जाती है।
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साइलेंट हार्ट अटैक –
साइलेंट हार्ट अटैक को साइलेंट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एमआई) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का दिल का दौरा है जो इससे जुड़े विशिष्ट लक्षणों के बिना आता है, जैसे कि सीने में दर्द या बेचौनी, सांस की तकलीफ या थकान। इसके बजाय, व्यक्ति केवल हल्के लक्षणों का अनुभव कर सकता है या कोई लक्षण नहीं हो सकता है, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, एक सामान्य दिल के दौरे की तरह, साइलेंट हार्ट अटैक तब होता है जब दिल के एक हिस्से में खून का फ्लो ब्लॉक हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप दिल की मांसपेशियों को नुकसान होता है।
किन्हें है साइलेंट हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा
साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा उन लोगों के लिए अधिक होता है जो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, वृद्धावस्था और अधिक मोटापे की समस्याओं से पीड़ित है। इसके अलावा, कई बार अंडरलाइन डिजीज के कारण भी आर्टरीज ब्लॉक हो जाती है, जिससे साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार, बहुत से लोग हार्ट अटैक के लक्षणों को एसिडिटी या किसी अन्य समस्या के लक्षण को समझकर इग्नोर कर देते हैं।
हार्ट अटैक से कैसे अलग है साइलेंट हार्ट अटैक
कुछ मरीजों में साइलेंट हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण कुछ अलग तरीके से देखने को मिलते हैं जैसे- छाती में दर्द न होकर कोई और लक्षण! जिन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है और इस वजह से इलाज में देरी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
सीने में दर्द साइलेंट हार्ट अटैक का कारण भी हो सकता है। साईलेंट अटैक में घबराहट, बैचेनी, पसीना, सीने में दबाव, गले में कुछ अटकना, पेट में दर्द, हाथों में दर्द, उल्टी, चक्कर, मूर्छा या हार्ट अटैक आदि शुरूआती लक्षण हो सकते हें।
हाई रिस्क मरीजों मे चिकित्सक की सलाह पर एस्पिरिन व अन्य दवाईयों की मदद से हार्ट अटैक को रोका जा सकता है। इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी द्वारा बंद नस को स्टेंट डालकर खोल कर जान बचाई जा सकती है। इससे तुरंत लक्षणों में आराम आने लगता हे और यह दिशा निर्देशों के हिसाब से श्रेष्ठ उपचार है। साइलेंट हार्ट अटैक मधुमेह के मरीजों व अत्यधिक युवा व वृद्ध लोगो में ज्यादा देखने को मिलते हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि हम सभी अपने स्वास्थ्य और बीमारियों को लेकर सजग रहें।
साइलेंट हार्ट अटैक से कैसे करें बचाव-
स्वस्थ आहारः स्वस्थ खान-पान अपनाना सबसे बेहतरीन उपाय है। स्वस्थ खाने के लिए, अपने आहार में फल, सब्जियां, अखरोट, मक्खन, मूली इत्यादि शामिल करें जो आपके दिल के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं।
व्यायामः रोजाना अभ्यास करने वाले व्यायाम से आप अपने दिल को स्वस्थ रख सकते हैं। योग, ध्यान और दौड़ने जैसे सक्रिय गतिविधियां आपके दिल के लिए बेहतर होती हैं।
तंबाकू एवं शराब का कम सेवनः तंबाकू खाने या धूम्रपान करने वालों और अधिक शराब पीने वालों के दिल के लिए खतरनाक होता है। इसलिए आपको तंबाकू और अल्कोहल के सेवन को बंद करने की आवश्यकता है।
वजन कम करेंः अधिक मोटापा वाले लोगों को वजन कम करना चाहिए। यह हार्ट के लिए स्वस्थ रहने में मदद करता है।
स्ट्रेस कम करेंः स्ट्रेस कम करने के लिए योग, मेडिटेशन, प्राणायाम आदि का प्रयोग करें।
नियमित चेकअपः नियमित चेकअप कराकर अपनी सेहत की जांच कराएं। यदि आपको किसी भी तरह की समस्या होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
नियमित दवाओं का सेवनः अगर आपको किसी भी मेडिकल कंडीशन के लिए दवाएं लेनी होती हैं, तो नियमित रूप से दवाएं लें और अपने डॉक्टर से उन्हें समय-समय पर चेकअप करवाएं।
यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है।