भोपाल। दिग्विजय सिंह की बुद्धि खराब हो गई है। वह देश की सेना का अपमान करते हैं। पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं, सेना का मनोबल गिराने की बात करते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलवामा हमले को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह द्वारा दिए गए बयान पर कहा कि जांच दिग्विजय सिंह की होना चाहिए। देश के खिलाफ, सेना के खिलाफ बोलने का बीज उनके दिमाग में डालता कौन है…! उन्होंने कहा कि जांच कांग्रेस पार्टी के डीएनए की भी होना चाहिए। जो भारत जोड़ने के नाम पर भारत तोड़ने वालों के साथ घूमती है।

सोनिया और राहुल गांधी को भी इसका जवाब देना चाहिए

शिवराज चौहान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का एक नेता लगातार सेना की देशभक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। सोनिया जी और राहुल गांधी को भी इसका जवाब देना चाहिए। गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने पुलवामा हमले पर अपने पुराने बयानों को फिर दोहराया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि खुफिया एजेंसियों की नाकामी की वजह से देश के 40 जवान शहीद हो गए।

गृहमंत्री को लगता है पोते से डर; यात्रा बीच में छोड़ पहुंचे भोपाल

भोपाल। मप्र की राजनीति में चाणक्य माने जाने वाले प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी अपने पोते से डरते हैं। इस सप्ताह पोते के एक आदेश पर वे विकास यात्रा बीच में छोड़कर कुछ देर के लिए भोपाल आए। जबकि गृहमंत्री ने तय किया था कि पूरी विकास यात्रा के दौरान वे अपने विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे और 25 फरवरी के बाद ही भोपाल लौटेंगे।

5 फरवरी से शुरू हुई विकास यात्रा में व्यस्त गृहमंत्री ने भोपाल में आयोजित पुलिस मीट के कार्यक्रम का उद्घाटन करने से भी मना कर दिया था। लेकिन इसी बीच शनिवार को वे अचानक कुछ देर के लिए भोपाल आए और लौट गए। दरअसल, नरोत्तम मिश्रा का लाडला पोता भोपाल के एक स्कूल में नर्सरी में पढ़ता है। शनिवार को स्कूल में पहली बार ग्रांड पेरेंट्स मीटिंग आयोजित की गई थी। पोते को दादा जी के साथ न केवल स्कूल पहुंचना था, बल्कि बच्चा बनकर पेटिंग, खेल आदि में भाग भी लेना था। पोते का आदेश मिलते ही मंत्री जी विकास यात्रा को विराम लगाकर भोपाल पहुंचे और पोते के साथ स्कूल गये। वहां पेटिंग भी की।

बनना पड़ता है घोड़ा, खेलते भी हैं साथ

गृहमंत्री डॉ मिश्रा का अपने पोता पोती से खास लगाव है। वे जब भी खाली समय होता है, अपने पोता पोती के साथ उनके मिजाज के खेल खेलते हैं। इस दौरान वे कभी घोड़ा बनकर उन्हें पीठ पर सवार कर लेते हैं तो कभी उनकी जुबान में तुतलाते हुए बातें भी करते हैं। लॉकडाउन के दौरान नरोत्तम मिश्रा ने अपने आपको घर में ही कैद कर लिया था। इस दौरान वे किसी से मुलाकत नहीं कर रहे थे। ऐसे खाली समय वे सिर्फ अपने पोते-पोती के साथ वक्त बिता रहे थे। इतना ही नहीं बच्चों की जिद पर वे उनके साथ खेलते हुए भी नजर आते थे और उनके लिए घोड़ा भी बन जाते थे।