भोपाल। 10 फरवरी से शुरू हुए हज आवेदन के सिलसिले में अब तक अर्जियां लगाने वालों की तादाद मायूसी भरी ही है। करीब 50 हजार कम हुए खर्च, बढ़े हुए कोटे और नि:शुल्क हज आवेदन की व्यवस्थाएं भी इस संख्या में कोई खास इजाफा और लोगों में उत्साह नहीं दिखा रही है। ऐन वक्त पर दौड़ लगाने की आदत वाले लोगों को फिलहाल इस बात की उम्मीद भी बंधी हुई है कि अंतिम तारीख गुजर जाने के बाद आवेदन प्रक्रिया को कुछ दिनों के लिए बढ़ाया जाएगा।
इस बार प्रदेश को 5 हजार तक कोटा मिल सकता है
पिछले साल सीमित तादाद में बुलाए गए हाजियों के बाद सऊदी अरब सरकार ने हज 2023 के लिए भरपूर मात्रा में हज कोटा जारी कर दिया है। पूरे देश के लिए मिले करीब एक लाख 75 हजार से ज्यादा के कोटे से मप्र को भी बढ़ा हुआ कोटा मिलने की उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि इस बार प्रदेश को 5 हजार तक कोटा मिल सकता है। जून माह में होने वाले इस सफर के लिए सेंट्रल हज कमेटी ने 10 फरवरी से आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। पूरी तरह ऑनलाइन इस प्रक्रिया के शुरआती दौर में कई दिन तक हज कमेटी की वेबसाइट ने साथ नहीं दिया। जिसके चलते हज आवेदकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वेबसाइट दुरुस्त होने के बाद अब आवेदकों की अरुचि दिखाई दे रही है। जिससे करीब 12 दिन गुजर जाने के बाद भी आवेदन संख्या में कोई खास बढ़ोतरी दिखाई नहीं दे रही है। मप्र राज्य हज कमेटी सूत्रों का कहना है कि आवेदन प्रक्रिया में संभवतः एक मार्च के बाद तेजी आएगी।
ऐन वक्त की दौड़
हर साल हज आवेदन प्रक्रिया हज सफर से कई माह पहले शुरू हो जाती है। जिसके चलते आवेदन की आखिरी तारीख के बाद कुछ अतिरिक्त समय दिए जाने का रिवाज रहा है। इसके चलते आवेदक ऐन वक्त पर दौड़ लगाकर आवेदन जमा करने के आदी हो गए हैं। लेकिन इस बार देर से शुरू हुई आवेदन प्रक्रिया के चलते इस बात की उम्मीद कम ही है कि आवेदन की तारीख में कोई इजाफा किया जाएगा।
रुबात का मामला अभी अधर में
सऊदी अरब की अदालत में कानूनी दावपेंच में फंसी रूबातों को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। नतीजा यह है कि हज- 2023 पर जाने वाले भोपाल रियासत के हजयात्रियों को इस बार भी रुबात में ठहरने की सुविधा मिलना मुश्किल लग रहा है। गौरतलब है कि हज के दौरान रूबातों में ठहरने का यह सिलसिला नवाबीकाल से लेकर वर्ष 2019 तक चला, लेकिन कोरोनाकाल में दो साल तक हजयात्रा नहीं हो सकी। क्योंकि सऊदी सरकार ने विदेशी हज यात्रियों के आने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद पिछले साल 2022 में विदेशी हज यात्रियों को सऊदी अरब सरकार ने अनुमति दे दी। लेकिन हज कमेटी ऑफ इंडिया के सर्कुलर में बिन्दु क्रमांक 23 पर अंकित था कि हाजियों को रुबात में नहीं ठहराया जाएगा। कोविड की वजह से यह व्यवस्था नहीं की गई थी, बल्कि मदीना की रूबातों को लेकर सऊदी अरब की अदालत में एक मामला विचाराधीन है। इस मामले को लेकर अभी तक कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है। जिसकी वजह से मदीना में स्थित सभी बातों में ताले लगे हुए हैं। फिलहाल रूबाते हय्यातुल औकाफ के कब्जे में है। शाही औकाफ का कोई दखल फिलहाल वहां नहीं है।
क्या है रूबात
भोपाल नवाब ने सउदी अरब के मक्का और मदीना दोनों शहरों में भोपाल की पूर्व रियासत से जाने वाले हजयात्रियों के लिए रूबातें यानि ठहरने की जगह बनाई थीं। जिन यात्रियों को रूबात मिल जाती थी, उनको खर्च में काफी राहत मिल जाती थी। पूर्व भोपाल रियासत से हज पर जाने वाले सभी हाजियों को मदीना में रूबात मिल जाती थी। इसके लिए कोई कुरआ नहीं किया जाता था, जबकि मक्का में रूबात में ठहरने के लिए हाजियों का चयन कुरआ (लॉटरी) से किया जाता था। लेकिन पिछले 3 साल से मदीने की रूबातें बंद पड़ी है। यहां 210 के करीब हाजियों को ठहरने की व्यवस्था है। बताया जाता है कि रूबात के नाजिर, इंतजामिया कमेटी के अधीन रूबात की व्यवस्था शाही औकाफ भोपाल द्वारा की जाती है। नाजिर और कमेटी के बीच चल रहे विवाद के चलते मामला सऊदी अरब की अदालत में चला गया है।
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कई फायदों की उम्मीद
- हज खर्च में करीब 50 हजार रुपए की कटौती संभावित
- आवेदन शुल्क 300 रुपए फिलहाल फ्री रखा गया है। ये सिर्फ चयनित आवेदकों से ही वसूला जाएगा
- मप्र के दोनों इंबार्केशन पॉइंट्स भोपाल और इंदौर से सीधी फ्लाइट मौजूद रहेगी
- हज कोटे में बढ़ोतरी