भोपाल। आम आदमी पार्टी के मुखिया और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल बार फिर14 मार्च को भोपाल में होंगे। बताया जा रहा है कि उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान भी चुनावी सभा में जुडेंग़े। यह तो तय है कि वे भी अब केजरीवाल की जगह तो ले ही लेंगे और लोक लुभावन घोषणा की पूरी फेहरिस्त एक बार फिर जनता के सामने रखने का प्रयास करेंगे। हालांकि, जनता इस पैतरेबाजी में कितना फंसेगी यह तो वक्त ही फैसला करेगा, लेकिन यह तय है कि चुनावी गणित का फलसफा कमजोर सैनिकों के भरोसे नहीं लड़ा जाएगा।

भंग है पार्टी इकाई, अध्यक्ष भी नहीं

मप्र में आप का कुनबा काफी बिखरा हुआ है। कोई बड़ा चेहरा न होने से पार्टी पहले ही डी-रेल हो चुकी है। कमजोर नेतृत्व का सिला पिछले चुनाव में हासिल हासिल हो चुका है। अब उसपर तुर्रा यह कि अभी तक कोई सेनानायक और सैनिक के ओहदे पर किसी की निुयक्ति तक नहीं की गई है। यानि प्रदेश में पार्टी फिलहाल नेतृत्व विहीन है। ऐसे में कौन किसके मातहत होगा, कार्यकर्ताओं को सुझाई नहीं पड़ा रहा है। हालांकि, यह पहला अवसर नही है। आंतरिक कलह से पार्टी पिछले कई वर्षोंं से जूझती रही है। सूत्र बताते हैं कि अंदरूरी खींचतान के चलते कई बार केंद्रीय नेतृत्व को दखल तक देना पड़ा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि मप्र के प्रभारी तक कई बार बदले जा चुके हैं बावजूद इसके केजरीवाल किस करवट ऊंट बिठाना चाहते हैं यह समझ से परे है।

सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप

कार्यकर्ताओं के हौसलों को जीवंत बनाए रखने के लिए शायद यह जरूरी है कि घोषणा पर घोषणा की जाए। चाहे नतीजा कुछ भी हो। मीडिया के सामने एक बार फिर इसी क्रम को दोहराते हुए प्रदेश की तकरीबन सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा दोहराई गई है। नए चुनावी साल में नए प्रदेश प्रभारी बीएस जून ने भी इसपर मुहर लगाई है।

कद्दावर की तलाश कब होगी पूरी

प्रदेश की आप पार्टी यूं तो सभी कोशिशों को अंजाम दे चुकी है, लेकिन आज भी उसकी कद्दावर चेहरे की तलाश खत्म नहीं हो सकी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी चाहती है कि चुनाव से पूर्व तक पार्टी अध्यक्ष पार्टी अध्यक्ष का पद खाली रखकर इसी सुखद घड़ी का इंतजार किया जा रहा है ताकि बाद में किसी विवादों से बचा जा सके। हालांकि, सूत्र तो यह भी दावा करते हैं कि कांग्रेस में घर वापसी के लिए जोर आजमाईश में लगे कुछ नेताओं को सुरक्षित स्पेस देने के मकसद से अभी तक इसे होल्ड पर डाला गया है।

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कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी चाहती है कि राजनीति के पेंच को राजनीति से ही काटे जाने का दांव भी खेला जा सकता है यानि अंतिम समय में बागियों का खुले हाथों से स्वागत करने की तैयारी भी खामोशी से लेकिन पूरे जोर-शोर से जारी है।