भोपाल। परीक्षाओं का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में राजधानी सहित प्रदेशभर में स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी पढ़ाई में जुटे हुए हैं। लेकिन देर रात तक चलने वाले डीजे-लाउड स्पीकर विद्यार्थियों की पढ़ाई में खलल डाल रहे हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा सभी जिलों को दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं, लेकिन इस पर अमल होता नजर नहीं आ रहा है।
उन क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थी ज्यादा परेशान हैं जिनके आसपास मैरिज गार्डन या हॉल हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू हो चुकी हैं, वहीं माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं-बारवहीं की परीक्षाएं 1 मार्च से शुरू हो जाएंगी। इसके अलावा कॉलेजों में जल्द परीक्षाएं शुरू होंगी। माशिमं की दसवीं और बारहवीं दोनों कक्षाओं की परीक्षा में इस बार प्रदेश में 18 लाख से ज्यादा विद्यार्थी शामिल होंगे। जिसमें दसवीं परीक्षा में करीब 9 लाख 65 हजार 166 विद्यार्थी शामिल होंगे।
कचरा उठाने वाले वाहनों में सुबह-शाम तेज आवाज –
नगर निगम के कचरा उठाने वाले वाहनों में सुबह-शाम तेज आवाज में बजने वाले गाने से भी विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अभिभावकों की माने तो कई बार यह वाहन बड़ी देर तक एक ही जगह खड़े होकर तेज आवाज में निगम द्वारा तय किए गए कचरे से संबंधित गाना बजाते हैं। आम दिनों में तो ठीक है, लेकिन परीक्षाओं के दौरान लगातार बजने वाले इस गाने से विद्यार्थियों की पढ़ाई में परेशानी होती है। अभिभावकों का कहना है कि कुछ दिनों के लिए जब तक बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं, इस पर भी रोक लगनी चाहिए।
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इन दिशा-निर्देशों का होना है पालन –
राज्य शिक्षा केंद्र ने 14 फरवरी को प्रदेशभर के कलेक्टर्स को वार्षिक परीक्षाओं के दौरान लाउड स्पीकरों के उपयोग पर नियंत्रण को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जारी आदेश में सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और स्कूल शिक्षा विभाग मप्र शासन के आदेशों का हवाला भी दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थलों पर जहां लाउड स्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली या किसी अन्य शोर स्त्रोत का उपयोग किया जा रहा है, के लिए ध्वनि 10 डीबी (ए) से अधिक नहीं होना चाहिए।
सार्वजनिक स्थलों में (आपातकालीन स्थिति को छोड़कर) कोई ढोल, नगाड़ा, तुरही या किसी अन्य स्त्रोत का उपयोग रात्रि में (रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच) प्रतिबंधित है। निजी स्वामित्व वाली शोर प्रणाली का परिधीय शोर स्तर, उस क्षेत्र के लिए निर्दिष्ट परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक से 5 डीबी (ए) से अधिक नहीं होगा।
सार्वजनिक स्थानों में विभिन्न स्रोतों द्वारा होने वाले ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रितक करने के लिए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 में भारत में स्वीकार्य ध्यनि स्तरों को अधिनियमित किया गय है। औद्यौगिक क्षेत्रों में सीमा दिन में 75 डीबी (ए) एवं रात में 70 डीबी (ए) है। व्यावसायिक क्षेत्रों में यह 65 डीबी (ए) व 55 डीबी (ए) है, जबकि आवासीय क्षेत्रों में यह क्रमश: 55 डीबी (ए) एवं 45 डीबी (ए) है।
इनका कहना –
डीजे-लाउड स्पीकरों की तेज पर नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश पूर्व में भी जारी किए गए हैं। इस संबंध में हम संभाग के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों से भी बात करेंगे और विद्यार्थियों के हित में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
अरविंद चौरगढ़े, संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण, भोपाल संभाग