भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से अशासकीय संकल्प पारित किया गया है कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होगे। बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं कराए जाएंगे। सरकार अब विधानसभा में पारित संकल्प राज्य निर्वाचन आयोग को भेजेगी। इसके बाद अब आयोग को तय करना होगा कि चुनाव प्रक्रिया जारी रखी जाए या फिर इसे टाला जाए। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की ओर से संकेत मिले हैं कि पंचायत चुनाव फिलहाल टाल दिए जाएं।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा से सर्वसम्मति से जो संकल्प पारित हुआ है, उसे सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। इसके बाद इस पर निर्णय चुनाव आयोग करेगा। इस पर विधि विशेषज्ञों का मानना है कि एक तरह से यह चुनाव प्रक्रिया को रोकने के लिए सहायक दस्तावेज है। जिसके जरिए दर्शाया जाएगा कि सदन का यह स्पष्ट मत है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना ना हों। सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी इसे दस्तावेज के तौर पर पेश कर सकती है। आयोग अभी इंतजार में है कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर क्या फैसला देता है।

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आज चौथे सुबह 11 बजे सदन में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने पंचायत चुनाव का मुद्दा उठाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। इस मामले में कांग्रेस विधायकों ने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर सरकार कुछ नहीं कर रही है। एक तरफ पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, दूसरी ओर कोर्ट में जाने की बात कही जा रही है। नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं चुनाव को तत्काल रोका जाए। हंगामे के कारण कार्यवाही को 12 बजे तक के लिए स्थिगित कर दिया गया।

दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होते ही विधानसभा में सदन के नेता के तौर पर सीएम ने कहा कि हम चाहते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव ना कराए जाएं। सभी सदस्यों ने हाथ उठाकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव को लेकर ओबीसी के वर्ग में आक्रोश है। इस आक्रोश को देखते हुए हम नहीं चाहते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सदन सर्वसम्मति से संकल्प पारित करके यह ऐतिहासिक फैसला करे कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही हों। इस पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम भी तो यही कह रहे थे कि सदन से संकल्प पारित किया जाए। हालांकि जब मुख्यमंत्री बोल रहे थे, तब विपक्ष के सदस्यों द्वारा हंगामा किया गया ।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संकल्प पारित करवाया। संकल्प पारित होने के बाद जब नेता प्रतिपक्ष अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि संकल्प पारित होने के बाद उस पर नियम अनुसार चर्चा नहीं होती है। इस पर कांग्रेस के विधायकों ने पुन: हंगामा करना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री संकल्प पारित होने के बाद सदन से निकल गए। इस दौरान अध्यक्ष को सदन की कार्रवाही तीन बार स्थगित करना पड़ी।