सारांश टाईम्स, भोपाल
मुझे यह देखकर गर्व होता है कि हमारे देश की परंपरा में धर्म को समाज व्यवस्था और राजनीतिक कार्यकलापों में, प्राचीन काल से ही केंद्रीय स्थान प्राप्त है। धर्म-धम्म की अवधारणा, भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है, “धार्यते अनेन इति धर्म:” अर्थात जो सबको धारण करता है, यानी आधार देता है, वह धर्म है। धर्म की आधारशिला पर ही पूरी मानवता टिकी हुई है। यह विचार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने व्यक्त किए। वे भोपाल में आयोजित 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के शुभारंभ कार्यक्रम में बोल रहीं थीं।

हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में धर्म धम्म का गहरा प्रभाव

कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में 3 से 5 मार्च तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि, स्वतंत्रता मिलने के बाद हमने जो लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई उस पर धर्म धम्म का गहरा प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। राष्ट्रीय ध्वज में भी धर्म चक्र सुशोभित है। धर्म की आधारशिला पर पूरी मानवता टिकी हुई है। राग द्वेष से मुक्त होकर मैत्री, करुणा और अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज का विकास करना, पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है।
मुर्मु ने कहा कि, अंतर्राष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार, सांची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट इंडिक स्टडीज तथा इंडिया फाउंडेशन की मैं सराहना करती हूं।

धर्म-धम्म सम्मेलन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गवर्नर मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री चौहान के साथ पुस्तक ‘द पेनारोमा ऑफ इंडियन फिलोसफर्स एंड थिंकर्स’ का विमोचन किया।

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धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन हमारा सौभाग्य : सीएम

सम्मलेन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, यह हमारा सौभाग्य है कि 7वें धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती पर हो रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस चिंतन से जो अमृत निकलेगा, वह दुनिया को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराने में सहायक सिद्ध होगा। एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया कि “सियाराम मय सब जग जानी” : एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया कि “सियाराम मय सब जग जानी” ।

धर्म और धम्म के तीन सिंद्धांत

सीएम चौहान ने कहा कि, भगवान गौतम बुद्ध ने कहा है कि युद्ध नहीं शांति, घृणा नहीं प्रेम, संघर्ष नहीं समन्वय, शत्रुता नहीं मित्रता, ये ही वो मार्ग हैं जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराएगा। इसके लिए धर्म धम्म सम्मेलन बहुत उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि, धर्म और धम्म का पहला सिद्धांत है, सभी जीवों के साथ दया और सम्मान का व्यवहार करना। दूसरा सिद्धांत ‘ज्ञान और बोध’ जिसका अर्थ है चीजों की नश्वरता और अंतरसंबंधों को पहचानना। तीसरा, आंतरिक शांति, निर्विकार भाव विकसित करना है।

विश्व के लिए भगवान गौतम बुद्ध एक समाधान हैं

वहीं, सम्मेलन में मप्र के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि, हिंसा और युद्ध से कराहते विश्व के लिए भगवान गौतम बुद्ध एक समाधान हैं। देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश में ‘बौद्ध परिभ्रमण पथ’ भगवन बुद्ध की उन्हीं शिक्षाओं को प्रसारित करने वाले केंद्र के रूप में स्थापित है। हमारे देश की परपंरा विश्व शांति और मानव जाति के कल्याण में विश्वास रखती है। भारतीय दर्शन की मान्यता है कि विश्व सब के लिए है और युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं है।