Bhopal : जो आया है, उसे वापस जाना ही है…! ज़िंदगी नश्वर है, मौत शास्वत है… लेकिन कुछ जाने वाले जिंदा रह गए लोगों के दिलों पर अमिट निशान छोड़ जाते हैं…! होली के तरंग भरे दिन में सुबह एक खबर आई, पीपी सर नहीं रहे…! पढ़ने, सुनने वाले यकीन नहीं कर पाए…! दिल के बहुत अमीर, सबका दर्द दिल में समाए रखने वाले, सबके लिए मुहब्बत और फिक्र रखने वाले पीपी सर के दिल ने ही उनका साथ नहीं दिया…! एक पल ख्याल ये भी आया कि होली की फेक न्यूज में शामिल कोई खबर साबित हो जाए…! और पुष्पेंद्र पाल सिंह सर फिर कहकहा लगाते हुए कह दें, अभी हम ज़िंदा हैं… बुरा न मानो होली है…!
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, रोजगार और निर्माण अखबार के संपादक, पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ इंडिया के मप्र चैप्टर के अध्यक्ष, मप्र मध्यम के डायरेक्टर… जितने जानने वाले पीपी सर की सबके लिए एक अलग पहचान…! पदों और जिम्मेदारियों से हटकर उनकी खास बात, जो उन्हें सबसे अलग करती है, वह उनका व्यवहार। अपने स्टूडेंट्स के लिए महज एक टीचर न होकर दोस्त, भाई, पिता या कोई सगा रिश्ता होने जैसा अहसास कराने वाला उनका व्यवहार ही है, जो उनके जाने को सबके लिए निशब्द कर गया…!
पीपी सर पत्रकारिता के विद्यार्थियों से लेकर देशभर के स्थापित पत्रकारों के बीच सर्वमान्य और सम्मानित शख्सियतों में शामिल रहे और हमेशा रहने वाले हैं…! ब्यूरोक्रेसी से लेकर सत्ता और सियासत तक में भी उनका एक अलग ही ओरा बना हुआ है…! पीपी सर का जाना, किसी बड़े वज्रपात जैसा लोगों पर गिरा। कोई इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा कि सबके परमप्रिय पीपी सर अब दुनिया में नहीं रहे। सोशल मीडिया का हर प्लेटफार्म उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आंसू बहाता नजर आ रहा है तो हजारों लोग इस मनहूस खबर की पुष्टि के लिए यहां वहां फोन घनघनाते फिर रहे हैं।
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पीपी सर, अब दुनिया में नहीं रहे, उनकी कमी हर कदम पर खलने वाली है लेकिन उनकी सीख, उनका दिया हुआ ज्ञान, उनसे समझा हुआ व्यवहार दुनिया में हर तरफ बिखरा दिखाई देने वाला है….!