Food and Drug Administration
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भोपाल। राजधानी में त्योहार को देखते हुए मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों की सूची तैयार की जाएगी। इसमें वो व्यापारी या कंपनी शामिल होगी, जिनके खाद्य पदार्थ के सैंपल दो से तीन बार फेल हो चुके हैं। विभागीय अमला इन पर विशेष नजर रखेगा। हिदायत के बाद भी अगर नमूने फेल होते हैं तो लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अच्छा काम करने वालों की भी सूची तैयार की जा रही है। इसमें वो व्यापारी और कंपनी शामिल होंगी, जिनके यहां से लिये गये नमूने पास हो जाते हैं। इन्हें बार-बार जांच के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा।

दरअसल, राजधानी में सैकड़ों खाद्य पदार्थ जांच की कसौटी में खरे नहीं उतर पाते हैं। नियमानुसार खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को ऐसे सैंपलों की लगातार जांच करना चाहिए। बावजूद खाद्य सुरक्षा अधिकारी दूसरी बार इनकी जांच तक करना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में मिलावट का खुलासा ही नहीं हो पाता है। इसमें कई नामचीन प्रतिष्ठन से लेकर कंपनियां तक शामिल हैं। हालांकि पूर्व में यह व्यवस्था थी, लेकिन गत डेढ़ साल से यह कार्रवाई बंद कर दी गई थी। अब यह कार्रवाई फिर से शुरू की जा रही है।

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मावा-पनीर लगातार निकल रहा मिलावटी-

शहर में आये दिन मावा-पनीर के मिलावटी होने पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ तब होती है जब पुलिस या क्राइम ब्रांच कार्रवाई करता है। यह मावा और पनीर कभी दुकानों से पहले ही नष्ट करा दिया जाता है। बावजूद इसके दुकानों से बिकने वाले मावे की शुद्धता जांच के लिए सैंपल न के बराबर होते हैं। जबकि अधिकांश माल ग्वालियर या मुरैना से ही राजधानी आता है।

रजनीगंधा पान मसाले से दूरी-

राजधानी में कई पान मसाले के सैंपल सबसे अधिक फेल हुए हैं। बावजूद इसके खाद्य सुरक्षा अधिकारी इसके सैंपल लेने से बचते हैं। लंबे समय से इसकी जांच ही नहीं की गई। इसके साथ ही रजनीगंधी के सैंपल भी दो बार फेल हो चुके हैं। लेकिन इससे भी अफसरों ने दूरी बना रखी है।

होटलों में उपयोग होने वाले तेल की जांच बंद-

छोटे ठेलों से लेकर रेस्टोरेंट व होटलों में उपयोग होने वाले तेल की जांच भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। पूर्व में हुई जांच में अधिकांश स्थानों पर तीन से चार बार तेल का इस्तेमाल करने का खुलासा हुआ था। इसके बाद विभाग ने व्यापारियों को समझाईश दी थी। बाद में इससे दूरी बना ली गई।

हरी सब्जियों से दूरी-

हरी सब्जियों को गंदे पानी से धोने और कलर का इस्तेमाल करने को लेकर कई बार जांच के निर्देश जारी किये गये, लेकिन विभागीय अमले ने इसमें कभी रूचि नहीं दिखाई। कार्रवाई हुई भी तो वीडियो वायरल होने पर। नहीं तो अमला खुद जांच करने की जहमत नहीं उठाता।

बड़े प्रतिष्ठानों से दूरी-

शहर के बड़े प्रतिष्ठानों की तरफ तो विभागीय अमला जाना ही पसंद नहीं करता है। जबकि अभियान के दौरान कई बड़े प्रतिष्ठानों के सैंपल जांच में खरे नहीं उतर सके थे। खजुराहो का सैंपल तो अनसेफ निकला था। इसके अलावा टेस्ट ऑफ इंडिया के सैंपल दो बार फेल हो सका। इसके बाद भी लंबे समय से जांच नहीं हुई।

इनका कहना है-

राजधानी में ऐसे खाद्य व्यापारी जिनके सैंपल बार-बार फेल होते हैं। उनकी सूची तैयार की जा रही है। इन पर विशेष नजर रखी जाएगी। ऐसे व्यापारियों के नमूने फिर फेल होते हैं तो इनके लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऐसे व्यापारी जिनके सैंपल जांच के दौरान पास होते हैं, उन्हें बार-बार परेशान नहीं किया जाएगा। इस संबंध में एफएसएसएआई के भी निर्देश हैं।

देवेन्द्र वर्मा ,अभिहित अधिकारी भोपाल खाद्य सुरक्षा प्रशासन