MP Assembly : पिछले तीन सालों में मध्य प्रदेश में तेंदुओं से ज्यादा बाघों की मौत हुई है। 2020 से 2022 तक 42 तेंदुए तथा 70 बाघ मौत का शिकार हुए। बाघों की मौत आपसी लड़ाई में ज्यादा हुई है, जबकि तेंदुओं की मौत के मामलों में दुर्घटना ज्यादा हुई है। इस मामले में विधानसभा में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सवाल किया था, जिसके जवाब में वनमंत्री विजय शाह ने आंकड़ों सहित जानकारी दी। मध्यप्रदेश विधानसभा में आज प्रदेश में बाघ-तेंदुए की मौत का मुद्दा गूंजा।

जीतू पटवारी ने मांगा जवाब

मामले को लेकर पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने विधानसभा में प्रश्न लगाकर वन मंत्री से जवाब मांगा। प्रश्न में जीतू पटवारी ने आंकड़ों के साथ कहा कि 2014 से 2018 के बीच 324 बाघ और तेंदुए की मौत शिकार, जहर देने और करंट लगने से हुई है। जीतू पटवारी ने पूछा कि वन मंत्री जवाब दें कि किस बात और किस तेंदुए की कब और कहां कैसे मौत हुई। जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि प्रदेश की माली हालत ठीक नहीं है। बिगड़ती स्थिति के कारण बड़े जानवर बाहर भेजे जा रहे हैं। किस कीमत पर पशु पक्षी बाहर भेजे जा रहे हैं इसके दस्तावेज सरकार दे। जीतू पटवारी ने कहा कि संस्था को लाभ पहुंचाया जा रहा है, सरकार स्पष्ट करे।

यह बोले वन मंत्री विजय शाह

प्रदेश में बड़ी संख्या में बाघों तेंदुओं की मौत को लेकर उठते सवालों पर वन मंत्री विजय शाह बोले एमपी में शिकारी सक्रिय है। शिकार के मामले चिंताजनक है। हमने शिकारियों को पकड़ा है। हमारी कोशिश है कि एमपी टाइगर स्टेट फिर से बने। जीतू पटवारी को पूरा जवाब दिया जाएगा। सब कुछ सबके सामने क्रिस्टल क्लियर है।

यह सवाल भी उठाया था पटवारी ने

जीतू पटवारी ने पिछले दिनों भोपाल से एक बाघ और इंदौर चिडिय़ाघर से भेजे गए 6 बाघ तथा 5 शेर के मामले में भी सवाल पूछा था कि इन्हें किस कीमत पर गुजरात के रिलायंस जूलॉजिकल किंगडम को दिया गया है। इसके बदले में कितनी कीमत मिली है? इस पर शाह ने कहा कि इनकी कीमत का आकलन नहीं किया जाता है। इसके ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिटेशन सेंटर द्वारा सीएसआर के अंतर्गत प्रदेश में रेस्क्यू सुविधाएं सुदृढ़ करने में राज्य सरकार को सहयोग देने की पेशकश की है, वहीं पहले चरण में इनके द्वारा वन विभाग को 4 रेस्क्यू वाहन एवं प्रयोगशाला के लिए विभिन्न उपकरण दिए गए हैं। पटवारी ने आरोप लगाया कि अंबानी को खुश करने के लिए इंदौर से 6 बाघ और 5 शेर भेजे गए और उनके बदले इंदौर को चिडिय़ा, तोते और झगड़ालू बंदर देकर खुश कर दिया गया।

2 लाख बकायादारों से वसूली पर जोर, सभी की संपत्ति ई टेंडरिंग करेगा निगम

बाघों की मौत के मामले ज्यादा बढ़े

प्रदेश में बाघों की मौत के मामले ज्यादा बढ़े हैं। 2020 में 19, 2021 में 26 और 2022 में 25 बाघ मौत का शिकार हुए हैं। हालांकि, बाघों की मौत का अधिकांश कारण उनकी आपसी लड़ाई रहा है। बाघ अपनी टेरीटोरी में किसी दूसरे बाघ की एंट्री बर्दाश्त नहीं कर पाते और कई बार आमने-सामने आने में उनके बीच संघर्ष हो जाता है, इसलिए उनमें से किसी एक की मौत हो जाती है। इनमें पांच की मौत शिकार के कारण हुई है तो 2 मामलों में मौत का कारण अज्ञात रहा है। 2020 में 8, 2021 में 14 और 2022 में 20 तेंदुओं की मौत हुई है। तीन सालों में कुल 42 तेंदुओं की मौत हुई है। इसके साथ ही पटवारी ने 2014 से 2018 के बीच का आंकड़ा भी पूछा था, जिसके जवाब में वनमंत्री ने बताया कि इस दौरान 209 तेंदुए और 120 बाघों की मौत हुई।