भोपाल। हज यात्रा सस्ती होगी, लोगों को फायदा मिलेगा, सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है… जैसे लुभावने जुमलों वाली नई हज नीति असल में पर्दे के पीछे से आस्था पर वार करने वाली साबित हो रही है। प्रत्यक्ष रूप से दिखाए गए फायदे, कुल मिलाकर आंकड़ों की जादूगरी से ज्यादा कुछ नहीं हैं। इन ताजा हालात को लेकर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं।

हज से सम्बंधित नई गाइडलाइंस के मुताबिक़ अब हाजियों से सऊदी अरब की करेंसी रियाल के लिये सरकार एडवांस रकम वसूल नहीं करेगी। पिछले साल तक हर हाजी को 2100 सऊदी रियाल मिलते थे, जिसके लिये सरकार उनसे भारतीय रुपये में रकम वसूल करती थी। इस समय एक सऊदी रियाल 22.05 रुपये का है। इस हिसाब से 2100 रियाल की क़ीमत 46,300 रुपये होती है। इस साल सरकार न तो यह रकम एडवांस लेगी और न ही हाजी को 2100 रियाल देगी। इसका मतलब यह है कि अगर किसी हाजी को सऊदी करेंसी चाहिये तो उसे बैंक में पैसे जमा करवाकर अपने स्तर पर लेनी होगी। इससे सरकार को पता रहेगा कि कौन हाजी कितने सऊदी रियाल लेकर जा रहा है।

विकास का बही-खाता लेकर मैदान में सरकार

फॉर्म भी नि:शुल्क नहीं

फॉर्म भरते समय हर आवेदक से 300 रुपये नहीं लिये जाएंगे, लेकिन जिनका क़ुर्रा में नम्बर आ जाएगा, उस आवेदक को 300 रुपये देने पड़ेंगे।

शरीयत में दखल

हज 2023 में 45 वर्ष से अधिक की उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम हज पर जाने की इजाजत होगी। अब तक जारी व्यवस्था में इसके लिए 4 महिलाओं के ग्रुप में जाने की इजाजत दी, लेकिन अब अकेली महिला भी हज पर जा सकेंगी, जो शरई परंपराओं पर सीधी चोट है।