भोपाल। अब गांवों में पक्का मकान बनाने के लिए दो से 5 हजार रुपए तक चुकाने होंगे। पहले से ही महंगाई से जूझ रहे लोगों को अब ग्राम पंचायत को भवन निर्माण के लिए निर्धारित शुल्क चुकाना होगा।

जानकारी के मुताबिक, गांव में घर बनाने के लिए अब सरकार को निर्धारित शुल्क देना होगा। शहरों की तरह गांवों में भी मकान बनाना अब आसान नहीं होगा। अब मकान बनाने के लिए ग्राम पंचायतों से परमिशन लेना पड़ेगी। परमिशन के साथ दो हजार से पच्चीस हजार तक चुकाने होंगे। पुराने मकान की जगह नया निर्माण करने के लिए भी परमिशन लेना होगी। पंचायत से भवन अनुज्ञा लेना अब जरुरी हो गया है।

कच्चे मकान के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं

जानकारी के मुताबिक, भवन अनुज्ञा जारी करने का अधिकार ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के सहायक यंत्री स्तर के अधिकारी को होगा। भूमि पर मिट्टी, गारे या स्थानीय सामग्री से बनने वाले मकानों के लिए भवन अनुज्ञा की जरूरत नहीं होगी। कमर्शियल यूज के लिए बनने वाले भवन, दुकान, गोदाम, कारखाना, व्यापार, कारोबार के लिए फीस अदा करनी होगी। 2500 वर्गमीटर से अधिक निर्मित क्षेत्रफल के लिए 15 हजार फीस होगी।

युवा, देश में हो रहे सुखद बदलावों को समझें और उनसे प्रेरणा लें

भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि भारत दर्शन देश को जानने और दोस्त बनाने का मौका है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान जो लोग मिले, उन से बातचीत करें। उनके साथ मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान करें। यात्रा के बाद उनके साथ संवाद बनाये रखे। भारत दर्शन हमारे देश की अनेकता में एकता के वैभवशाली स्वरूप, समुदायिक जीवन और पारस्परिक भाईचारे की गौरवशाली परंपराओं से परिचित होने का सुनहरा अवसर है। जरूरी है कि आप सब समकालीन संस्कृति और सभ्यता के विभिन्न पहलुओं से परिचित होने के साथ ही देश में हो रहे, सुखद बदलावों को समझे और उनसे प्रेरणा लें।

राज्यपाल पटेल ने यह बात आज राजभवन में सीमा सशस्त्र बल की 14वीं वहिनी के “वतन को जानो” पहल में भारत दर्शन पर आए कश्मीरी युवाओं के साथ चर्चा में कहीं। राज्यपाल के प्रमुख सचिव डीपी आहूजा भी मौजूद थे।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि भ्रमण से लौटने पर परिवार, समाज और क्षेत्र में देश की समृद्ध संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराओं की विविधता में रची-बसी एकता की विरासत के बारे में लोगों को बताएँ। देश में हो रहे विकास और प्रगति की जानकारियाँ, युवा और बच्चों के साथ साझा करें। उन्हें समावेशी संस्कृति की विविधता और राष्ट्रीय एकता की मज़बूती में सहयोगी होने के लिए प्रेरित करें। देश और भविष्य के बारे में समाज में सकारात्मक चिंतन और रचनात्मक वैश्विक नज़रिए को सुदृढ़ बनाएँ।

उन्होंने कहा कि युवा देश का भविष्य होते हैं। उसी देश का भविष्य उज्ज्वल होता है, जिसका युवा स्वस्थ, शिक्षित और राष्ट्र हित को सबसे ऊपर मान कर राष्ट्र की सेवा करता है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि जीवन में कभी भी माता-पिता को नहीं भूले। कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिससे देश का अपमान हो।