भोपाल और इंदौर से होगी शुरुआत, दोनों शहरों में लागू होगी पुलिस आयुक्त प्रणाली

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया ऐलान, कहा- इससे और ज्यादा मजबूत होगी कानून व्यवस्था

पुलिस को मिलेंगे मजिस्ट्रियल पावर, लाठीचार्ज और धारा 144 लगाने के लिए नहीं करना पड़ेगा कलेक्टर के हुक्म का इंतजार

 

भोपाल। मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को और चुस्त-दुरुस्त बनाने तथा अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने राजधानी भोपाल और वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने इस फैसले की जानकारी देते हुए रविवार को बताया कि यद्यपि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है और पुलिस अच्छा काम कर रही है, लेकिन शहरों की बढ़ती जनसंख्या और भौगोलिक दृष्टि से उनके लगातार विस्तार को देखते हुए राज्य के 2 शहरों भोपाल और इंदौर मैं पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन नई परिस्थितियों और चुनौतियों के बीच कानून व्यवस्था को लेकर कुछ नई समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। इनके समाधान के लिए और अपराधियों पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से भोपाल और इंदौर में अपराध और अपराधियों पर बेहतर ढंग से काबू पाया जा सकेगा।

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के 2 महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का ऐलान ऐसे महत्वपूर्ण समय में किया है जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 19 अक्टूबर से राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों की 3 दिन की कांफ्रेंस चल रही है जिसका समापन आज होगा।

राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार इन दोनों शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली अगले साल अप्रैल से लागू कर दी जाएगी। पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से अब डीजी स्तर के अधिकारी को पुलिस आयुक्त बनाया जाएगा और उसके अधीनस्थ दो आईजी या एडीजी स्तर के अधिकारी ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर के रूप में काम करेंगे।

 

पुलिस को मिलेंगे यह अधिकार

-लाठी चार्ज करने की अनुमति अब कलेक्टर से नहीं लेनी होगी।

-सीमित क्षेत्र में धारा 144 लागू करने का अधिकार पुलिस के पास होगा।

-जिला बदर की कार्यवाही का फैसला भी अब पुलिस अफसर ही करेंगे।

-धरना प्रदर्शन रैलियों की अनुमति भी पुलिस ही जारी करेगी।

-डीसीपी और एसीपी स्तर के अफसरों के पास ये अधिकार होंगे।

-डीसीपी सरकार का एसपी स्तर का अधिकारी होगा।

-प्रतिबंधात्मक धाराओं में गिरफ्तार आरोपियों की जमानत पुलिस कोर्ट से होगी।

-आर्म्स, आबकारी और बिल्डिंग परमीशन की एनओसी देने के अधिकार भी अब पुलिस के पास होंगे।

 

क्या है अन्य शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली के हाल

 

इस समय देश के 71 शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है। इनमें से 19 महानगर ऐसे हैं, जिनकी आबादी 20 लाख से ज्यादा है, लेकिन इनमें से 14 में ही पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है । 20 लाख से अधिक आबादी वाले शेष 6 शहर जहां पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू नहीं है, उनमें मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर, बिहार का पटना, उत्तरप्रदेश के कानपुर, लखनऊ और गाजियाबाद शामिल है। देश के 34 शहर ऐसे हैं, जिनकी आबादी 10 से 20 लाख के बीच है, लेकिन इन 34 में से 26 शहरों में ही पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है। देश के 31 शहर ऐसे भी हैं, जिनकी आबादी 10 लाख से कम है, इसके बाद भी इन शहरों में पुलिस प्रणाली लागू है।

लंबे समय से चल रही थी जद्दोजहद

मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर बिल सर्वप्रथम साल 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पारित किया था। इसके भी करीब दो दशक पहले राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजुन सिंह ने पुलिस आयुक्त प्रणाली की घोषणा की थी। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2012 में इस प्रणाली को लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन आईएएस अफसरों के दबाव में बात आगे नहीं बढ़ पाई थी।

 

पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार

भोपाल और इंदौर दोनों शहरों की आबादी लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए इन दोनों महानगरों में कानून व्यवस्था सुचारू रूप से जारी रखने और अपराधों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया गया है। मैं इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को साधुवाद करता हूं और उन्हें धन्यवाद भी देता हूं।

डॉ नरोत्तम मिश्रा, गृहमंत्री, मध्यप्रदेश शासन