mp news : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए तत्पर रहो…इस उकसाने वाले बयान के आरोप में जेल में बंद पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। गिरफ्तारी के 76 दिन बाद राजा पटेरिया जेल के बाहर खुली हवा में सांस ले सकेंगे। जबलपुर हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं और क़ानूनी पहलुओं पर गौर करते हुए राजा पटेरिया को जमानत दे दिया। बता दें कि, आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोपों में घिरे रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजा पटेरिया को लेकर जमकर बवाल मचा था। उन पर एफआईआर के बाद गिरफ्तारी की गई थी।
जननेता को ऐसी अशोभनीय भाषा नहीं बोलना चाहिए
गौरतलब है कि पूर्व में हाई कोर्ट ने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए साफ किया था कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे देश के उच्च पदस्थ व्यक्तियों के लिए अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करना किसी भी जननेता को शोभा नहीं देता। ऐसी भाषा के उपयोग से बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राजनेताओं को सार्वजनिक भाषण देते समय अपनी भाषा के प्रति सावधान रहना चाहिए। यदि इस अपराध के लिए जमानत दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा। हालांकि आवेदक 30 दिन बाद जमानत के लिए दोबारा अर्जी दायर करने स्वतंत्र है। इसी आधार पर नए सिरे से अर्जी दायर की गई थी, जिस पर उन्हें राहत मिल गई।
पवई पुलिस ने किया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद पन्ना जिले के पवई थाने में राजा पटेरिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने 13 दिसंबर को राजा पटेरिया को पुलिस गिरफ्तार किया था। पवई कोर्ट और उसके बाद ग्वालियर जिले की विशेष (एमपी-एमएलए) कोर्ट से दो बार जमानत अर्जी निरस्त हुई। इसके बाद पटेरिया ने हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में जमानत अर्जी दायर की थी। वहां से यह याचिका हाई कोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर स्थानांतरित कर दी गई थी।
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यह रखा गया था पक्ष
इस मामले की सुनवाई के दौरान राजा पटेरिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा था। उन्होंने दलील दी थी कि आवेदक के विरुद्ध जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें कोई तथ्य नहीं हैं। यह मामला राजनीति से प्रेरित है। पटेरिया ने जो वक्तव्य दिया था, उसी में मंतव्य भी स्पष्ट कर दिया था। उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। वहीं, राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद ठाकरे ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी थी कि कई गवाहों ने बताया है कि पूर्व मंत्री पटेरिया ने जान बूझकर अल्पसंख्यकों को भड़काने के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया था।