भोपाल स्थित वर्ल्ड क्लास हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर जिन रानी कमलापति के नाम पर किया गया है, आइए जानते हैं उनके बारे में
भोपाल के इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि रानी कमलापति भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी हिंदू रानी थी। वह जिस गोंड आदिवासी समुदाय से आती थीं, उस राजवंश का शासन गिन्नौरगढ़ से बाडी तक विस्तारित था। गोंड राजा राय सिंह जिनके नाम पर रायसेन का नाम रखा गया उनका शासन करीब 6 दशकों तक रहा। रायसेन में गोंड राजाओं द्वारा महल का निर्माण भी कराया गया गोंड राजाओं में अंतिम शासक राजा नरसिंह देवड़ा थे, जिन्होंने करीब 57 साल तक राज किया। 16 वीं शताब्दी में भोपाल के करीब स्थित सलकनपुर रियासत के राजा थे कृपाल सिंह। इन्हीं राजा कृपाल सिंह की पुत्री थी रानी कमलापति। कहा जाता है कि वे सुंदर तो थी ही बचपन से ही बुद्धिमान और साहसी थी। उनके पिता ने उन्हें युद्ध कलाओं की शिक्षा दिलाई थी जिसके कारण वे घुड़सवारी, तीरंदाजी और मल युद्ध में माहिर थीं। युद्ध कौशल में उनकी प्रवीणता देखते हुए ही उनके पिता ने राजकुमारी कमलापति को अपनी सेना का सेनापति भी बनाया था। रानी कमलावती ने इस दौरान एक महिला दल भी बनाया था। रानी कमलापति ने उन आक्रमणकारियों से कई बार युद्ध किया जो पड़ोसी राज्यों से आकर उनकी रियासत में खेत खलियान और धन संपदा को लूट लेते थे।
रानी कमलापति का विवाह गिन्नौरगढ़ के राजा सुराज सिंह शाह के पुत्र निजाम शाह से हुआ था । निजाम शाह भी रानी कमलापति की तरह निडर और सर्वगुण संपन्न राजा थे। निजाम शाह ने ही रानी कमलापति के लिए सन 1700 ईसवी में भोपाल में सात मंजिला भव्य महल का निर्माण कराया था। राजा निजाम शाह और रानी कमलावती को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम नवल शाह रखा गया था। इतिहासकारों के अनुसार राजा निजाम शाह की हत्या बाड़ी के किले के जमीदार के लड़के चैन सिंह ने करवाई थी। दरअसल चैन सिंह रानी कमलापति से शादी करना चाहता था और रानी कमलापति की निजाम शाह से शादी होने के बाद भी उनके खिलाफ षड्यंत्र करता रहता था। रानी कमलापति से विवाह करने में असफल चैन सिंह ने एक योजना बनाई और राजा निजाम शाह को अपने यहां भोजन के लिए आमंत्रित किया उसने राजा के भोजन में जहर मिला दिया, जिसे खाकर राजा निजाम शाह की मौत हो गई। राजा की हत्या की खबर से रानी स्तब्ध रह गई। इसी दौरान चैन सिंह ने रानी को अकेला पाकर गिन्नौरगढ़ किले पर हमला कर दिया। रानी को अपनी और अपने बच्चे की जान बचाने के लिए पति बनाई इसके लिमें शरण लेनी पड़ी
पति की हत्या से दुखी रानी ने हत्यारे चैन सिंह को सबक सिखाने का फैसला किया। उन्हें पता चला कि भोपाल के आसपास कुछ अफगान सरदारों ने डेरा डाल रखा है। इन्होंने जगदीशपुर पर आक्रमण कर उसे कब्जे में ले लिया है। रानी कमलावती ने अफगानो के सरदार दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी। रानी के कहने पर दोस्त मोहम्मद खान ने गिन्नौरगढ़ के किले पर हमला किया और चैन सिंह को मौत के घाट उतार दिया था। सन 1723 में दोस्त मोहम्मद खान की मृत्यु हो गई।
रानी कमलापति का महल
गिन्नौरगढ़ के किले पर गोंड राजाओं का 100 साल से भी अधिक समय तक आधिपत्य रहा। बड़े तालाब के तट पर निर्मित इस महल को रानी कमलापति के महल के नाम से ही पहचाना जाता है । इस महल को 1998 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने संरक्षण में रखा है।