Bhopal : सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड कंपनी से 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे दिलाने वाली केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मुआवजे में घोर लापरवाही पर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबित दावों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा RBI के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल किया जाएगा।

करीब 6 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने इस मामले में कहा कि केस दोबारा खोलने पर पीड़ितों की ही मुश्किलें बढ़ेंगी। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को नुकसान की तुलना में करीब 6 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है।

क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी…

केंद्र सरकार RBI के पास पड़े 50 करोड़ रुपए में से पीड़ितों की मदद करे। अगर ये केस दोबारा खोला जाता है तो यह यूनियन कार्बाइड के लिए ही फायदेमंद होगा। गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था। लेकिन पीड़ितों ने ज्‍यादा मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट में अपील की। केंद्र ने 1984 की गैस कांड पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा है। इसके लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी।

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1984 में भोपाल में मौत ने मचाया था तांडव

1984 में दो दिसंबर की रात को भोपाल में मौत ने ऐसा तांडव मचाया कि आज तक उसके जख्म नहीं भर सके। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री से हुई जहरीली गैस के रिसाव से रात को सो रहे हजारों लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए। इससे पूरे शहर में मौत का तांडव मच गया। मरने वालों की संख्या 16,000 से भी अधिक थी।