भोपाल। निजी स्कूलों की तर्ज पर केंद्र और प्रदेश सरकार अब सरकारी स्कूलों की छोटी कक्षाओं को भी हाईटेक बनाने के प्रयास कर रही हैं। ऐसे में समग्र शिक्षा अभियान में भारत सरकार द्वारा सत्र 2022-23 में टीचर रिसोर्स पैकेज के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षकों के लिए टैबलेट खरीदने का प्रावधान किया गया है, लेकिन अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। हालात यह हैं कि कई जिलों में निर्धारित मापदंडों के अनुसार टेबलेट ही नहीं मिल रहे हैं। कई शिक्षकों ने अब तक टैबलेट ही नहीं खरीदे हैं।
जिसके चलते अब राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) ने 15 मार्च तक टैबलेट खरीदने और प्रतिपूर्ति के लिए प्रस्ताव एम शिक्षा मित्र के माध्यम से भेजने के निर्देश दिए हैं। वहीं सभी कलेक्टरों को टैबलेट के भौतिक सत्यापन पूर्ण कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। पूर्व में 28 फ रवरी तक टैबलेट खरीदने के लिए शिक्षकों फार्म भरना थे। राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश के मुताबिक, टैबलेट के लिए शिक्षकों को 10 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह राशि उनके खातों में महीने में जमा करने की बात की जा रही है।
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यह भी है एक कारण –
विभागीय जानकारों की माने तो प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने वाले करीब 8 से 10 प्रतिशत शिक्षक अगले दो साल में सेवानिवृृत्त होने वाले हैं। इनमें ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। ऐसी स्थिति में शिक्षक टैबलेट खरीदने से हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि टैबलेट चार साल तक कनेक्ट रहेगा।
10 हजार में टैबलेट ऐसे, जो सालभर भी न चलें –
मामले में शासकीय शिक्षक संठगन मप्र के कार्य. अध्यक्ष उपेंद्र कौशल का कहना है कि विभाग द्वारा कुछ समय पूर्व प्राथमिक शिक्षकों के लिए टैबलेट खरीदने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि इस आदेश में कई ऐसे मापदंड तय किए गए हैें, जिन्हे पूरा करना संभव ही नहीं है।
शिक्षकों को 10 हजार रूपए में ऐसा टैबलेट खरीदने के निर्देश हैं, जो विभाग के मापदंडो पर खरे उतरें। जबकि वास्तविकता यह है कि एक बेहतर टेबलेट 15 से 20 हजार रूपए का आता है। सस्ते टैबलेट साल भर भी नहीं चल पाएंगे। नतीजन शिक्षक परेशान हैं। जबकि शासन चाहे तो खुद ही विभाग के मापदंडो के अनुसार टैबलेट खरीदकर शिक्षकों को दे सकता है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
वहीं दूसरी कई जिलों से यह भी खबर है कि शिक्षकों को कुछ अधिकारियों द्वारा टैबलेट खरीदने के लिए अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। यहां तक कि वेतन रोकनी की बात तक कही जा रही है, जो पूर्ण रूप से अनुचित है। संगठन इस मामले में जल्द ही स्कूल शिक्षा मंत्री और विभाग के आला अधिकारियों से मिलेगा।