Jabalpur : सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत में 1255 पदों पर भर्ती को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट प्रशासन, सामान्य प्रशासन विभाग व विधि विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी व न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की युगलपीठ ने 6 फरवरी तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता द्वारा यह की गई मांग
हाईकोर्ट से याचिका निरस्त होने के बाद याचिकाकर्ता पुष्पेंद्र कुमार पटेल ने हाईकोर्ट के आदेश को विशेष अनुमति याचिका के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जिसकी सुनवाई के दौरान उसका पक्ष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने रखा। उन्होंने दलील दी कि हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका निरस्त कर दी थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मेरिट का अनारक्षित वर्ग में माइग्रेशन प्राथमिक नहीं, बल्कि अंतिम चयन के समय होगा। याचिका में ओबीसी के मेरिटोरियस उम्मीदवारों को कट-ऑफ से अधिक अंक पाने पर उनका चयन अनारक्षित वर्ग में करने की मांग की गई थी।
अधिक अंक के बावजूद शामिल नहीं किया
हाईकोर्ट में ओबीसी, महिला व दिव्यांग वर्ग के 22 याचिकाकर्ताओं की ओर से उनके साथ अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा था। दलील दी गई थी कि जिला न्यायालय में असिस्टेंट ग्रेड व शीघ्र लेखकों के 1255 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। प्रारंभिक स्तर पर अधिक अंक प्राप्त होने के बावजूद याचिकाकर्ताओं को अनारक्षित वर्ग की चयन सूची में शामिल नहीं किया गया।
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सुप्रीम कोर्ट को प्रारंभिक सुनवाई के दौरान अवगत कराया गया कि ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार के 81 अंक हासिल करने वाले आवेदक का चयन नहीं किया गया। जबकि अनारक्षित वर्ग के आवेदक को 77 प्रतिशत अंक आने पर भी चयन कर लिया गया। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप ओबीसी के मेरिटोरियस उम्मीदवार का अनारक्षित वर्ग में स्थानांतरण अंतिम चयन के आधार पर होगा। इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
CONCLUSION
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