भोपाल। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉरमेंस (क्रिस्प) ने प्रदेश की पांच महिलाओं को ‘अहिल्या सम्मान 2023’ प्रदान किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में क्रिकेटर सौम्या तिवारी, भरतनाट्यम नृत्यांगना और रंगमंचीय कलाकार तनिष्का हतवलने, टीवी एक्ट्रेस शुभांगी अत्रे, गोंडी भित्ति चित्र कलाकार ननकुसिया श्याम और अभिनेत्री व गायिका विभा श्रीवास्तव रहीं। शुभांगी अत्रे स्वास्थ्य खराब होने के कारण प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं हो सकीं। समन्वय भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर और प्रदेश की जाना-मानी भील कलाकार भूरी बाई विशेष अतिथि रहीं।
मजदूरी की तलाश में भोपाल आईं
इस मौके पर पद्मश्री से सम्मानित लोक कलाकार भूरी बाई ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह मजदूरी की तलाश में भोपाल आईं और भारत भवन को गढ़ने वाले कलाकार जे. स्वामीनाथन से उनका परिचय हुआ। उन्होंने बताया कि स्वामीनाथन ने उनकी भीली चित्रकारी को परखकर मुझे अवसर दिया और उनके ही मार्गदर्शन से आज वह देश-दुनिया में जानी जाती हैं। भूरी बाई ने कहा कि संघर्ष से ही इंसान को बड़ा बनाते हैं और महिलाओं के लिए अपनी जगह बनाना बहुत जरूरी है।
करियर के लिए प्रेरित करने का श्रेय माता-पिता को
गिरिजा शंकर ने कहा कि स्त्रियों को मिले इस सम्मान का श्रेय उनके परिजनों को भी जाता है। आज के दौर में जहां लोग सैलरी और पैकेज के पीछे भाग रहे हैं, ऐसे में खेल-कला और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने का श्रेय माता-पिता को भी जाता है। उन्होंने कहा कि क्रिस्प तकनीकी संस्थान है, लेकिन महिला दिवस का कार्यक्रम आयोजित करके संस्थान ने कला के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ दी है, क्योंकि एक तकनीकी संस्था के मंच पर दो बार जे. स्वामीनाथन का जिक्र हुआ। उन्होंने कहा कि तमाम सफलताओं के पीछे तो संघर्ष है ही, लेकिन उसके आगे भी संघर्ष बना हुआ है। हमारे सामने जो स्त्रियां हैं, वे वाकई संघर्ष की मिसाल हैं। जब भी महिला सम्मान की बात होती है, वहां लैंगिक समानता की बात न आए, ऐसा संभव नहीं।
आज समय बदल गया है
उन्होंने अपना एक संस्मरण सुनाया कि जब 5-6 साल के थे, तब बड़ी बहन सिलाई सीखने जाती थीं, लेकिन घर वाले उन्हें उनके साथ जाने के लिए कहते थे। आज समय बदल गया है, लेकिन मर्द की अंगुली पकड़ने की मानसिकता कितनी बदली है, इस पर हमें विचार करना होगा। यह अच्छा है कि महिलाएं चांद पर पहुंच गईं, राष्ट्रपति बन गईं, यह सब प्रतीकात्मक अधिक है, लेकिन एक बड़ी आबादी आज भी अपने हक के लिए बुनियादी संघर्ष कर रही है। किसी भी क्षेत्र में सफल लोग हों, उनके पीछे एक महिला की ताकत होती है।
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इस मौके पर क्रिस्प के प्रबंध निदेशक डॉ. श्रीकांत पाटिल ने कहा कि इतिहास और संस्कृति पर गौर करें, तो देखेंगे कि धन की देवी महालक्ष्मी हैं और विद्या की देवी मां सरस्वती हैं। इन दो महत्वपूर्ण विषयों के केंद्र भी महिलाएं ही हैं। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा नारी शक्ति को सरकार की योजनाओं के माध्यम से मजबूती प्रदान करें और ऐसा करने का हम प्रयास भी कर रहे हैं। अभी क्रिस्प में हमने महिलाओं के लिए ऑटोमोबाइल के कोर्से चलाए हैं, हम इन नई पहलों को और आगे ले जाना चाहते हैं। कार्यक्रम में भरतनाट्यम नृत्यांगना तनिष्का हतवलने ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। इस मौके पर खाद्य सुरक्षा आयुक्त सुदामा पी. खाड़े और आरजीपीवी विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे।