Tribute to Pushpendra Pal Singh
Tribute to Pushpendra Pal Singh

भोपाल। पत्रकारिता गुरु पुष्पेंद्र पाल सिंह को आज माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के प्रेस काम्पलेक्स स्थित पुराने परिसर में श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित राजनीति, पत्रकारिता, स्व. सिंह के परिजन सहित बड़ी संख्या में उनके छात्र उपस्थित रहे।

पुष्पेंद्रपाल सिंह को याद करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके नाम पर पत्रकारिता के क्षेत्र में पुरस्कार स्थापित किए जाने की घोषणा भी की। उन्होंने आगे कहा कि स्व. सिंह निष्काम कर्मयोगी और अहंकारशून्य व्यक्ति थे। वे अपने काम के प्रति हमेशा समर्पित रहे। फिर चाहे एक पत्रकारिता के शिक्षक का कार्य हो या फिर मप्र माध्यम के अधिकारी का कार्य हो वे आधी रात को भी तैयार रहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा उन्हें कभी भी किसी समय कार्य सौंपों पूरा विश्वास रहता था कि वह पूरा हो जाएगा।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा पुष्पेंद्र जी से बहुत सीखा। वे अपने अनुभव बांटने को हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी यही खूबी उन्हें औरों से अलग बनाती थी। वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर ने कहा कि आज के समय में कोई शिक्षक अपने विद्यार्थियों के दिल में इतनी जगह बना ले, इतना आसान नहीं है। लेकिन पीपी ने यह कर दिखाया। वह असाधारण व्यक्तित्व था। पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पाठक, वरिष्ठ पत्रकार अमृता सिंह ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। विवि की ओर से राखी तिवारी, अविनाश वाजपेयी भाजपा नेता लोकेंद्र पाराशर ने भी अपने विचार रखे। समाजवादी नेता रघुठाकुर ने ऑनलाइन विचार रखे।

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वे शिक्षक नहीं ‘गुरु’ थे: प्रो.सुरेश-

पत्रकारिता विवि के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि पुष्पेंद्र पाल सिंह हमारे विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के प्रमुख थे। लेकिन उनके बारे में यह कहा जा सकता है कि वे पत्रकारिता के शिक्षक नहीं ‘गुरु’ थे। शिक्षक केवल पाठ्यक्रम की पढ़ाई कराता है लेकिन गुरु जीवन भर अपने शिष्य को सिखलाता है। वह शिक्षा पूरी करने के बाद भी उनकी चिंता करता है। पुष्पेंद्रपाल सिंह ने भी अपने विद्यार्थियों की हमेशा और हर स्तर पर चिंता की। उनका यही गुण उन्हें उनके विद्यार्थियों में लोकप्रिय बना गया। उनके मुंह से आप कभी नकारात्मक बात या विचार नहीं सुन सकते थे।

भैया सदैव समाज के लिए जिये: केपी सिंह-

सभा में पुष्पेंद्र पाल सिंह के छोटे भाई केपी सिंह ने अपने भाई का स्मरण करते हुए कहा कि मेरे बड़े भाई ने सदैव ही हर काम को गहराई में उतर कर पूरी लगन से पूरा किया। उन्होंने बताया कि वह देर रात तक फोन पर अपने दोस्तों, परिचितों और पूर्व छात्रों के संपर्क में रहते थे।

उन्होंने कभी यह नहीं देखा कि दिन है या रात वह 24 घंटों लोगों की मदद में निष्काम भाव से लगे रहते थे। उन्होंने कहा कि हमारी माताजी इसके लिए मना भी करती थी। लेकिन वे कहते थे कि अगर मेरे एक फोन से किसी का कोई काम बनता है तो इससे अच्छा पुण्य का काम क्या होगा। हालांकि संबोधन की शुरुआत में केपी कुछ भावुक भी हो गये थे लेकिन उन्होंने मंच पर माता-पिता तथा अन्य परिजनों को देख स्वयं को संभाल लिया।

नए परिसर में बने कक्ष-

मुख्यमंत्री ने उनके नाम से पत्रकारिता क्षेत्र में पुरस्कार देने की घोषणा के साथ ही कुलपति को सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के नए परिसर में एक कक्ष स्व. पुष्पेन्द्र पाल सिंह के नाम पर किया जाये। कक्ष में उनके लेखों का संग्रह भी होगा। साथ ही उनकी स्मृति में व्याख्यान माला भी आयोजित की जाये। श्रद्धांजलि सभा में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी उपस्थित थे।

भक्ति गीतों की प्रस्तुति हुई

कार्यक्रम में बीच-बीच में भक्ति गीत भी हुए। इनमें -हे..राम….हे..राम….जग में सांचो तेरा नाम, तू प्यार का सागर है, तेरी इक बूंद के सागर हम, जिनके भजन श्रीराम बसे जैसे भक्ति गीत गूंजे। स्व. पीपी का पसंदीदा गीत एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल की प्रसतुति भी हुई। उनके जीवन पर आधारित ‘कहानियां हजार, एक किरादरÓ शीर्षक लघुफिल्म प्रदर्शित की गई। साथ ही उनकी स्मृतियों को संजोये एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।

परिजन रहे उपस्थित-

सभा में पुष्पेंद्र पाल सिंह के माता—पिता, बहन योगिता, बेटा शिवपाल और बेटी शानू भी मौजूद थी।