भोपाल। मप्र वक्फ बोर्ड में लंबे समय से चल रही प्रशासक व्यवस्था आगे भी बरकरार रहने के आसार बने हुए हैं। ऐसे में मौजूदा प्रशासक के राजधानी से कूच करके जाने की खबरों के बीच कई चाहतमंदों के अरमान इस पद पर काबिज होने के लिए जागे हुए दिखाई देने लगे हैं। जबकि कुछ अधिकारियों को इस पद के लिए योग्य और ठोस काम करने वाला मानकर उनके नाम को आगे बढाया जाने लगा है। सरकारी अधिकारियों के दायरे से बाहर इस पद के लिए कई और लोगों ने भी अपने दावं-पेंच लगाना शुरू कर दिए हैं।

मप्र वक्फ पर प्रशासक राज कायम

वर्ष 2018 में शौकत मोहम्मद खान की अध्यक्षता वाले बोर्ड के कार्यकाल समापन के बाद से मप्र वक्फ पर प्रशासक राज कायम है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौर में करीब में 18 माह तक यहां रिटायर्ड आईएएस निसार अहमद सत्ता चलाते रहे। इनके यहां से निवृत्त होने के बाद यह जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारी सतीश कुमार एस के पास आई। करीब 8 माह तक इनकी देखरेख में चले बोर्ड को करीब दो साल पहले एडीएम दिलीप यादव ने सहारा दिया और तब से अब तक वे ही यहां की व्यवस्था संभाल रहे थे। उनका यह कार्यकाल और भी आगे चलता रहता, लेकिन इस बीच यादव पदोन्नत होकर मंदसौर कलेक्टर बन गए हैं। जिसके चलते बोर्ड के लिए नए प्रशासक की तलाश शुरू हो गई है।

कई नाम हैं चर्चाओं में

मप्र वक्फ बोर्ड प्रशासक के लिए पहला जो नाम लिया जा रहा है, वह अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव मालवीय का है। संभवतः विभाग इसके लिए जल्दी ही आदेश जारी कर सकता है। इधर, मप्र वक्फ बोर्ड में शासकीय अधिकारी श्रेणी से मेम्बर रहे आईएएस मुजीबुर्रेहमान खान का नाम भी लिया जा रहा है। सीधी कलेक्टर की जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद खान फिलहाल भोपाल में ही हैं और प्रशासन अकादमी में सेवाएं दे रहे हैं। एसडीएम जमील खान का नाम भी इस नई जिम्मेदारी के लिए गिनाया जा रहा है। बोर्ड में सीइओ रहते हुए जमील खान ने कई विवादास्पद मामलों का आसान पटाक्षेप किया था। हाल ही में उनका स्थानांतरण सीहोर हुआ है।

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हालांकि, उन्होंने अब तक भोपाल से रिलीव नहीं लिया है। इसके अलावा पूर्व में यहां प्रशासक रह चुके सेवानिवृत्त आईएएस निसार अहमद और पूर्व में बोर्ड सीइओ की जिम्मेदारी निभा चुके दाउद अहमद खान, डाॅ एसएमएच जैदी और डाॅ युनूस खान भी बोर्ड प्रशासक पद के लिए अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर दिखाई दे रहे हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि निसार अहमद, दाउद अहमद, डाॅ जैदी और डाॅ युनूस खान के साथ बोर्ड से जुडे कुछ विवाद उनकी यहां पुनः नियुक्ति के रास्ते बाधा बन सकती है।

गैर अधिकारी भी बनाया जा सकता है प्रशासक

जानकार सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम 1995 के मुताबिक मप्र वक्फ बोर्ड में सीइओ के तौर पर मुस्लिम अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है। लेकिन प्रशासक के पद पर यह बाध्यता नहीं है। इस पद पर किसी ऐसे सर्वमान्य व्यक्ति, जो समाज में बेहतर छवि रखता हो और जिसपर वक्फ से जुड़े किसी मामले की छाया न हो, सरकार चाहे तो उसे प्रशासक के तौर पर नियुक्त्त कर सकती है।

अधर में अटकी हुई चुनाव प्रक्रिया

वैसे तो मप्र वक्फ बोर्ड गठन के लिए चुनाव प्रक्रिया करीब 8 माह से जारी है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने कुछ सदस्यों का नामांकन भी कर दिया है। जबकि फिलहाल चुनाव प्रक्रिया से शामिल किए जाने वाले सदस्यों की नियुक्ति बाकी है। लेकिन इस प्रक्रिया के बीच कुछ नामांकित सदस्यों को लेकर लगाई गई अदालती आपत्तियों ने बोर्ड गठन की मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जल्दी निपटने के हालात दिखाई न देने के चलते इस बात की उम्मीद कम ही नजर आ रही है कि मप्र वक्फ बोर्ड को जल्दी कार्यकारिणी मिल पाएगी। जिसके चलते इसकी व्यवस्था प्रशासक के हवाले ही चलते रहने के आसार बने हुए हैं।