भोपाल। करीब आठ माह से चल रही मप्र वक्फ बोर्ड गठन की प्रक्रिया अब भी सारा दिन चले, अढाई कोस चल… के झूले में झूल रही है। नामांकित किए गए मेम्बरों पर उठी एतराज की उंगलियों ने जहां चुनाव प्रक्रिया को धीमा कर रखा है, वहीं बाकी बचे सदस्यों के लिए उचित नामों पर सहमति न बन पाने से भी गठन रुका हुआ है। अब चुनावी मौसम सामने आने के साथ इस प्रक्रिया को जल्दी पूरा किए जाने की चर्चाएं चल पड़ी हैं। माना जा रहा है कि जल्दी ही बाकी सदस्यों की नियुक्ति के साथ चुनाव प्रक्रिया वाले सदस्यों को भी पूरा कर लिया जाएगा। जिसके बाद अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया पूरी कर बोर्ड को आकार दे दिया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि मप्र वक्फ बोर्ड के बाकी बचे सदस्यों सांसद, विधायक, मुतवल्ली, धार्मिक उलेमा आदि की केटेगिरी पर जल्दी ही नियुक्तियां कर ली जाएंगी। इसके साथ ही बोर्ड अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। बोर्ड चुनाव के लिए तय किए गए रिटर्निंग अधिकारी को भी इसके लिए प्रक्रिया तेज करने के लिए निर्देशित किया जा चुका है।

ऐसे होगी प्रक्रिया

सूत्रों का कहना है कि बोर्ड में शामिल किए जाने वाले सांसद श्रेणी के सदस्य के लिए पूर्व सांसदों नजमा हेपतुल्लाह, एमजे अकबर, डॉ अजीज कुरैशी, असलम शेर खान में किसी एक को नामांकित किया जा सकता है। जबकि विधायक केटेगिरी से आरिफ अकील और आरिफ मसूद में से एक नाम पर सहमति बनाकर इनको बोर्ड में शामिल किया जाएगा।

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मुतवल्ली श्रेणी के सदस्य के लिए प्रदेश के एक लाख रुपए से ज्यादा आमदनी वाले मुतवल्ल्यिों में से मतदान द्वारा चुनाव किया जाएगा। इसके अलावा धार्मिक उलेमा केटेगिरी के लिए कोई सर्वमान्य नाम पर सहमति की मोहर लगा दी जाएगी। गौरतलब है कि बार काउंसिल कैटेगिरी से अहद उल्लाह उस्मानी का नाम पहले से तय किया जा चुका है। जबकि शासकीय अधिकारी के तौर पर नियुक्त किए गए ईनाम उर्रहमान पर लगे आरोप भी खत्म हो चुके हैं और उनकी नियुक्ति के रास्ते आसान हो चुके हैं।

अब तक यह हुआ चुनाव में

  • जबलपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर जून 2022 में बोर्ड गठन की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
  • बोर्ड गठन के लिए वन विभाग के अधिकारी एचयू खान को नियुक्त किया गया था। लेकिन उन्होंने कोविड मरीज होने का हवाला देते हुए इस चुनाव से खुद को अलग कर लिया।
  • उनके स्थान पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने रिटायर्ड अधिकारी दाउद अहमद खान को चुनाव अधिकारी बनाया। लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने और उनके खिलाफ कई जांचें प्रचलित होने के चलते अदालत में चुनौती दी गई। जिसके चलते उन्हें अपनी इस जिम्मेदारी से इस्तीफा देना पड़ गया।
  • बोर्ड में शामिल किए गए सामाजिक श्रेणी के सदस्य डॉ सनव्वर पटेल और धार्मिक उलेमा केटेगिरी के मेम्बर मेहबूब हुसैन की योग्यता को लेकर अदालत में याचिका लगी। जिसमें अदालत ने डॉ पटेल को योग्य करार देते हुए मेहबूब हुसैन की सदस्यता समाप्त कर दी।