विजय हजारे ट्रॉफी का पहली बार खिताब जीतने की खुशी मनाती हिमाचल प्रदेश की टीम।

जयपुर। हिमाचल प्रदेश ने विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल में रविवार को तमिलनाडु को वीजेडी प्रणाली से 11 रन से हराकर पहली बार खिताब अपने नाम किया। खराब रोशनी से प्रभावित जयपुर में खेले फाइनल मैच में हिमाचल प्रदेश के कप्तान  ऋषि धवन के ऑलराउंड प्रदर्शन और सलामी बल्लेबाज शुभम अरोड़ा की नाबाद शतकीय पारी का बड़ा योगदान रहा। शुभम अरोड़ा को उनकी शानदार नाबाद सेंचुरी के लिए मैन ऑफ द मैच दिया गया।

 

तमिलनाडु ने अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक की 116 रन की पारी के दम पर 49.4 ओवर में सभी विकेट खोकर 314 रन बनाए। खराब रोशनी के कारण मैच को रोके जाते समय हिमाचल ने 47.3 ओवर में चार विकेट के 299 रन बना लिए थे। वीजेडी प्रणाली से इस समय तमिलनाडु का स्कोर 289 रन था। विकेटकीपर बल्लेबाज शुहम अरोड़ा ने 131 गेंद की नाबाद पारी के दौरान 13 चौके और एक छक्का जड़ा। जबकि शानदार लय में चल रहे धवन ने 23 गेंद की नाबाद पारी में 42 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान पांच चौके और एक छक्का लगाया। धवन ने गेंद से भी कमाल दिखाते हुए 10 ओवर में 62 रन देकर तीन विकेट लिए।

क्या है वीजेडी नियम
क्रिकेट में पहली बार 1997 में डकवर्थ लुईस नियम का प्रयोग किया गया था। 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने सही मानकर लागू कर दिया। 2015 में इसका नाम बदलकर डकवर्थ लुईस स्टर्न नियम कर दिया। आईसीसी द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बावजूद यह नियम भारत के धरेलू मैचों में लागू नहीं होता। बीसीसीआई बारिश, मौसम और खराब रोशनी के कारण बाधित हुए मैच के नतीजे के लिए वीजेडी नियम का इस्तेमाल करता है। वीजेडी नियम को केरल के सिविल इंजीनियर वी जयादेवन ने बनाया था। मौजूदा समय में डकवर्थ लुईस नियम से आसान और सटीक इसे माना जाता है।