भारतीय प्रतिनिधि ने दिया था प्रस्ताव
भारत की तरफ से पेश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए भारत ने एक मसौदा पेश किया था जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक समिति ने पारित कर दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब स्कॉटलैंड के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के लिए विश्वभर के नेता एकत्रित हो रहे हैं। इस मसौदा प्रस्ताव को कानूनी मामलों को देखने वाली महासभा की छठी समिति में पारित किया गया।
इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि गुरुवार को बिना मतदान के यह प्रस्ताव पारित किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को अब छठी समिति के सुझाव आधिकारिक तौर पर पारित करना होगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र का कहना है कि ग्लासगो में अगले सप्ताह सीओपी-26 की बैठक से पहले आज अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के मसौदा प्रस्ताव पर की गई कार्रवाई केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वास्तविक भी है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने एक ट्वीट में कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई के मामलों पर अपनी कथनी और करनी में अंतर समाप्त करना चाहता है।
रवींद्र ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि संयुक्त राष्ट्र की छठी समिति ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के मसौदा का प्रस्ताव पारित कर दिया है। स्थायी उप प्रतिनिधि रवींद्र ने कहा कि इस प्रस्ताव को पारित करना अक्षय ऊर्जा के लिए सदस्य देशों की प्रतिबद्धता एवं संकल्प को और अधिक मजबूती देगा। इसके अलावा हरित ऊर्जा कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत को दर्शाएगा।
वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने इस महीने की शुरुआत में भारत, फ्रांस और लगभग 80 सह-प्रायोजकों की ओर से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए मसौदा प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव के सह-प्रायोजक देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, , इटली, जापान,अल्जीरिया, बांग्लादेश, कम्बोडिया, चिली, क्यूबा, डेनमार्क, मिस्र, फिजी, फिनलैंड, आयरलैंड,मालदीव, मॉरिशस, म्यांमा, ओमान, सेंट विन्सेंट और ग्रेनेडाइंस, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, त्रिनिदाद और टोबैगो, तथा ब्रिटेन शामिल हैं।