नई दिल्ली। जब दुनिया में कोविड के नए वैरियंट ओमिक्रॉन दहशत छाई है ऐसे में दूसरी ओर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा हो रहा है। इस समय जब पूरी दुनिया के राष्ट्र प्रमुख अपने-अपने देशों में मोर्चा संभाल रहे हैं, लेकिन पुतिन एक योद्धा की तरह भारत से किए गए वादे को निभाने भारत पहुंच गए हैं। वे आज 6 दिसंबर को एक दिनी भारतीय दौरे पर हैं। रूस की भारत से यह दोस्ती नई नहीं है, इस दोस्ती की नींव 1947 में पड़ी थी। तब से अब तक कई बार दुनिया में आस्थाएं बदलीं, दोस्त  बदले, लेकिन भारत और रूस के रिश्ते नहीं बदले। आज जब ड्रेगन की ताकत से सभी सभी पढ़ोसी देश घबराए हुए हैं ऐसे समय में भारत की रूप के साथ दोस्ती बनी रहना बहुत जरूरी है। पुतिन के इस भारत दौरे से दुनियां ही नहीं ड्रेगन को स्पष्ट संदेश मिल जाएगा।

रूस के पहले राजदूत ने की थी दोस्ती की शुरूआत

रूस के भारत में पहले राजदूत किरिल नोविकोव ने भारत रूस के मजबूत रिश्तों की शुरूआत की थी जो आज भी जारी है। यह कहानी तक शुरू होती है जब भारत को 1947 में आजादी मिले कुल 4 महीने हुए थे, लेकिन भारत को उसका असली दोस्त अब तक नहीं मिला था। 21 दिसम्बर 1947, दिन रविवार को एक रूसी दंपत्ति अपने बच्चों के साथ दिल्ली हवाईअड्डे पर उतरे। उनका नाम था किरिल नोविकोव। इन्होंने ही भारत और रूस के अटूट रिश्ते की नींव रखी थी। ये आजाद भारत के पहले रूसी एंबेसडर थे। तब से लेकर 74 साल बाद भी भारत की रूस से यह दोस्ती जारी है।