30 अक्टूबर को हुए उपचुनाव के नतीजे 2 नवंबर को आ चुके हैं। इस चुनाव के नतीजों ने भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों की चिंता बढ़ा दी है। इनमें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और कर्नाटक के सीएम बसवराज एस बोम्मई के लिए यह उपचुनाव खतरा बन सकते हैं, क्योंकि इन चुनाव में हिमाचल और कर्नाटक में भाजपा का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहा है।

दरअसल भाजपा आलाकमान ने 6 महीने में अपने 4 मुख्यमंत्रियों को बदला है। इस मामले में भाजपा ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा और उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत शामिल हैं। ऐसे में सीएम जयराम और बसवराज एस बोम्मई की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है।

जयराम ठाकुर ने स्वीकार की हार 
हिमाचल में उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए एकदम से विपरीत रहे। यहां कांग्रेस ने तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया। सीएम जयराम ठाकुर ने हार स्वीकार की और कहा कि पार्टी इससे सीखेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को उतारकर इमोशनल कार्ड खेला। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से नतीजों से निराश न होने की अपील की और कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम बदला
हिमाचल में विधानसभा चुनाव केवल कुछ महीने दूर हैं। हालांकि, ठाकुर के लिए यह कोई राहत की बात नहीं हो सकती। गुजरात में इस तरह का बदलाव देखा जा चुका है। गुजरात में भी अगले साल चुनाव होने हैं, लेकिन इससे कुछ महीने पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री के साथ ही पूरे मंत्री परिषद में बदलाव कर दिया है। यहां विजय रूपाणी की जगह उपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

येदियुरप्पा को हटाकर बोम्मई को बनाया सीएम
बोम्मई के लिए चुनौती अलग तरह की है। दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव लिंगायत नेता के लिए पहली बड़ी चुनावी परीक्षा थी, जिसमें वो खरे नहीं उतर पाए हैं। भाजपा आलाकमान ने समीकरण सुधारने के लिए येदियुरप्पा की जगह बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था। इसे लेकर भाजपा आलाकमान के बीच लंबा विचार-विमर्श चला था।

अपने गृह नगर जिता पाए बोम्मई
राज्य की सिंदगी सीट पर भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। यह सीट जनता दल (सेक्युलर) ने गवां दी है। हालांकि भाजपा को हंगल विधानसभा सीट पर हार झेलनी पड़ी। हंगल बोम्मई का गृह नगर है। इसके बावजूद पार्टी उम्मीदवार की हार ने मुख्यमंत्री की  चिंता बढ़ा दी है। बोम्मई ने खुद चुनाव में काफी बढ़-चढ़कर प्रचार किया था, लेकिन अपनी स्थिति मजबूत नहीं कर पाए हैं।