अक्सर लोगों को यह जानने की जिज्ञासा होती है कि हमारी धरती का केंद्र बिंदु यानी अंदरुनी सतह कैसी है? कई लोगों के मन में आज भी यह सवाल लगातार उठ रहा है कि क्या धरती के नीचे वाकई एक सीमा के बाद पाताल जैसा कुछ है? लेकिन अब इन सवालों के जवाब काफी हद तक मिल गए है। हालिया रिसर्च हवाई इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड प्लैनेटोलॉजी के भू-भौतिक विज्ञानी रेट बटलर और उनकी टीम ने की है। इसके लिए उन्होंने भूकंपों से उठने वाली भूगर्भीय तरंगों की जांच की।

साइंटिस्ट और उनकी टीम ने इस दौरान पाया कि इनमें से कुछ तरंगे धरती के इनर कोर से टकराकर लौट आईं जबकि कुछ उसे आर-पार कर गईं। जिससे साफ होता है कि पृथ्वी का केंद्र पूरी तरह से सख्त नहीं है, बल्कि कुछ स्थानों पर इसमें तरल भी मौजूद है। इन परिणामों ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया। कई बार जांच करने पर भी उन्हें एक जैसे संकेत मिले। खबरों में दावा किया जा रहा है कि यहां एक अलग तरह की दुनिया हो सकती है।

ठोस नहीं नरम है पृथ्वी का केंद्र
अभी तक अनुमान लगाया जा रहा था कि धरती का अंदरूनी हिस्सा ठोस है। लेकिन एक नई रिसर्च बताती है कि यह पूरी तरह ठोस नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के इनर कोर के बारे में जितना अध्ययन किया जा रहा है, उतने ही ज्यादा नए-नए राज खुल रहे हैं। एक नई खोज से पता चला है कि पृथ्वी का केंद्र ठोस नहीं बल्कि नरम है। यह अध्ययन फिजिक्स ऑफ द अर्थ एंड प्लैनेटरी इंटीरियर्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि धरती का केंद्र बिंदु कई जगहों पर ठोस जबकि कुछ जगहों पर नरम है।

इस गोले के कुछ हिस्सों पर तरल मौजूद है जिसका मतलब है कि यह पूरी तरह ठोस नहीं है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की जेसिका इरविंग के अनुसार धरती के केंद्र को लेकर लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ठोस गोला नहीं है बल्कि एक ‘नई दुनिया’ हो सकता है।

पहले खोखला माना गया था धरती का केंद्र
वैज्ञानिक जूल्स वर्ने ने 1864 में बताया था कि धरती का केंद्र खोखला है। वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को 1950 में खारिज कर दिया था और बताया था कि पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से में अत्यधिक गर्मी और दबाव के कारण यहां पहुंचना संभव नहीं है।