नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल का मुकाबला करने के लिए अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाने का प्लान तैयार किया है। इंडियन नेवी इस योजना के अंतर्गत अगले कुछ सालों में मानवरहित एरियल (ड्रोन) और अंडरवाटर सर्विलांस प्लेटफॉर्म्स की संख्या को बढ़ाने की को कोशिश करेगी। योजना से संबंधित लोगों से जानकारी मिली है।
मानवरहित प्लेटफॉर्म की खरीद को मिली मंजूरी
योजनाकारों ने कहा है कि मानवरहित प्लेटफॉर्म संबंधी तैयारी के अंतर्गत यह खरीद की जाएगी। पिछले महीने ही शीर्ष जल सेना कमांडर्स की कॉन्फ्रेंस में इसे अंतित रूप दिया गया था। कॉन्फ्रेंस में नए जमाने के प्लेटफॉर्म्स की आवश्यकता पर वार्ता की गई थी।
नेवी का जलमार्गों की निगरानी बढ़ाने पर होगा ध्यान
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के मद्देनजर भारत का मुख्य फोकस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलमार्गों की निगरानी बढ़ाने पर है। नेवी के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार इंडियन नेवी लॉन्ग रेंज एंटी सबमरीन वॉरफेयर और सर्विलांस के क्षेत्रों में अपनी सामर्थ्य को बढ़ाना चाहती है।
इंडिया का 30 मल्टी–मिशन आर्म्ड प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर जोर
इंडियन नेवी का यूएस से 30 मल्टी-मिशन आर्म्ड प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर विशेष जोर है। इस योजना पर 22,000 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है। उन्होंने उम्मीद जताई हैं कि सरकार मार्च 2022 तक सौदे को मंजूरी मिल सकती है। यह ड्रोन सर्विलांस का काम करने के साथ ही मिसाइल फायर करने सामर्थ्य रखता हैं।
यूएस निर्मित ड्रोन लगभग 36 घंटे सर्च करने में सक्षम
यूएस निर्मित रिमोटली पायलेटेड ड्रोन लगभग 36 घंटे तक लगातार हवा में सर्च अभियान में रहने में सक्षम हैं। इन ड्रोन्स को खुफिया जानकारी एकत्र करने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई मिशनों पर तैनात किया जाएगा है।
ड्रोन खरीद की मंजूरी जल्द
अगले कुछ महीनों में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) से हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस MQ-9B लॉन्ग-एंड्यूरेंस ड्रोन के एक्विजिशन के प्रस्ताव को भी अनुमति मिलने की उम्मीद है।