– न्यूजीलैंड ने हर क्षेत्र में किया बेहतर प्रदर्शन, भारत की बॉडी लैंग्वेज पर उठ रहे सवाल

हार और जीत तो खेल का अभिन्न हिस्सा है। इसके लिए आपने प्रयास कितना किया यह मायने रखता है। 24 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ 10 विकेट की हार के बाद 31 अक्टूबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ भी भारत को 8 विकेट से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। दोनों मैचों का सही से विश्लेषण किया जाए तो ऐसा लगता है कि भारतीय टीम शायद जीतने के इरादे से मुकाबलों में उतरी ही नहीं। पाकिस्तान के खिलाफ तो सम्मानजनक 151 रन का स्कोर बन गया था, लेकिन न्यूजीलैंड के विरुद्ध तो टीम ने लगभग हथियार डाल ही दिए थे। टीम इंडिया पूरे 20 ओवर खेलने के बाद 7 विकेट खोकर मात्र 110 रन बना सकी।

ताकत ही बनी कमजोरी

भारतीय टीम की ताकत उसकी बल्लेबाजी को माना जाता है। रोहित शर्मा और विराट कोहली बड़े खिलाड़ी हैं। इन दोनों एक-दो बार नहीं, बल्कि अनेकों बार भारत के लिए बड़ी पारियां खेली हैं, रोहित शर्मा के नाम तो वनडे की एक पारी में 264 रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड है। इसके अलावा केएल राहुल, रिषभ पंत भी अच्छे खिलाड़ी हैं। इन दोनों ही बल्लेबाजों ने अभी हाल ही में संपन्न हुई आईपीएल में जोरदार पारियां खेली थीं, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए मैच में ये भी नाकाम हो गए। न्यूजीलैंड के खिलाफ सबसे अधिक रवींद्र जडेजा ने नाबाद 26 रन बनाए। हार्दिक पंड्या 23 रन बनाकर दूसरा सबसे बड़ा योगदान दिया। बल्लेबाजी नहीं चलने से भारत की ताकत ही उसकी सबसे बड़ कमजोरी बन गई। वहीं न्यूजीलैड की बात की जाए तो उसके बल्लेबाजों ने संभलकर और होशियारी से खेला। पहला विकेट गुप्टिल के रूप में 24 रन पर गिरने के बाद डेरिल मिशेल ( 35 गेंदों में चार चौकों और तीन छक्कों की मदद से 49 रन) ने कप्तान केन विलियमसन ( नाबाद 33 रन) के साथ टीम को संभाला। मिशेल जब 96 रन के स्कोर पर आउट हुए तो वे टीम को लगभग जीत के मुहाने पर लाकर छोड़ गए थे। इसके बाद विलियमसन और डिवोन कन्वे ( नाबाद 2 रन) ने जीत की औपचारिकता पूरी की।

बुमराह को छोड़कर सभी गेंदबाज रहे बेअसर

बल्लेबाजों के कमजारे प्रदर्शन के बाद भारतीय गेंदबाजी भी बेअसर दिखी। जसप्रीत बुमाराह ने जरूर चार ओवर में 19 रन खर्च कर 2 विकेट लिए, लेकिन अन्य गेंदबाजों की धार कुंद नजर आई। छोटे स्कोर का बचाव करने के लिए टीम में जोश का भी अभाव दिखा। भारत के अन्य गेंदबाजों में वरुण चक्रवर्ती ने चार ओवर में 23 रन दिए। वहीं रवींद्र जडेजा ने दो ओवर में 23 रन, मोहम्मद शमी ने एक ओवर में 11 रन, हार्दिक पंड्या ने दो ओवर में 17 रन तो शार्दुल ठाकुर ने 1.3 ओवर में 17 रन खर्च किए। भारतीय गेदबाज न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों पर दबाव बना ही नहीं सके। मैच से दो दिन पहले ही श्रीलंका के पूर्व खिलाड़ी मुथैया मुरलीधरन ने भी भारतीय टीम को आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि गेंदबाजी में अकेले बुमराह पर निर्भरता ठीक नहीं है।

बॉडी लैंग्वेज ने किया सबसे ज्यादा निराश

भारतीय क्रिकेट फैंस को न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए मैच में सबसे ज्यादा निराशा टीम की बॉडी लैंग्वेज से हुई। मैच के दौरान ऐसा कतई नहीं लग रहा था कि हम आज जीतने के लिए खेल रहे हैं। बॉडी लैंग्वेज को लेकर पूर्व खिलाड़ी मोहम्मद कैफ, इरफान पठान और पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी शोएब अख्तर ने टीवी पर बहस करते हए कहा कि मैच के दौरान लग ही नहीं रही था कि यह भारतीय टीम खेल रही है। इससे बड़ी निराशा हुई।

प्रयोगधर्मिता पड़ गई भारी

पाकिस्तान के खिलाफ हार के बाद भारतीय टीम काफी दबाव में आ गई। 31 अक्टूबर का मैच उसे हरहाल में जीतना ही था। इसके लिए भारत ने टीम में बदलाव भी किए। पूर्व खिलाड़ियों सहित कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने टीम की प्रयोगधर्मिता पर भी सवाल उठाए। सूर्यकुमार यादव की जगह ईशान किशन को टीम में शामिल करना और फिर उन्हें रोहित की जगह ओपनिंग करने के लिए भेजना। वहीं अनुभवी गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार पर युवा शार्दुल ठाकुर को प्राथमिका देना। इतना ही नहीं शुरूआती ओवर बुमराह से कराने की बजाय स्पिनर वरुण चक्रवर्ती से करवाया। पावर प्ले में स्पिनर रवींद्र जडेजा से गेंद फिकवाना लगभग क्रिकेट के विशेषज्ञों को ज्यादा समझ नहीं आया। शमी ने सिर्फ एक ओवर फेंका, उसमें भी उन्होंने 11 रन दे दिए। दूसरी ओर न्यूजीलैंड की बात की जाए तो उसके गेंदबाजों ने पहली गेंद फेंकने से लेकर अंतिम गेंद डालने तक भारतीय टीम पर दबाव बनाकर रखा।

54 गेंदों पर तो भारतीय बल्लेबाजों ने काई रन ही नहीं बनाया

टी-20 मैच में एक पारी में कुल 120 गेंदें फेंकी जाती है। इसमें एक-एक गेंद और रन का काफी महत्व होता है। भारतीय बल्लेबाजी इस कदर दबाव में थी कि 120 में से 54 गेंदों पर तो कोई रन ही नहीं बना। यदि इन गेंदों पर रन बनते तो टीम का स्कोर बढ़ता और विरोधी टीम पर दबाव बनता।