नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया, जिसमें केंद्र को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर विचार करने, देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों तथा अफवाहों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी एवं कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने एक अलग याचिका के साथ मामले की सुनवाई 22 नवंबर को तय की। अपेक्स कोर्ट ने कहा कि याचिका पर 22 नवंबर को सुनवाई की जाएगी, जब मामले से जुड़ी एक अन्य याचिका पर सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से प्रस्तुत याचिका में पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा कि याचिका की प्रति गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और विधि आयोग को दी जाए। इन सभी को याचिका में प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में यह आदेश देने की मांग की गई है कि अदालतों को सार्वजनिक शांति, चुनाव से संबंधित अपराध आदि के खिलाफ अपराधों के लिए सजा देते समय, लगातार चलने वाली सजा पर जोर देना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने नफरत फैलाने वाले भाषण और अफवाह फैलाने वालों से निपटने के लिए कानून आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए केंद्र को विधायी कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की। याचिका में कहा है कि घृणा और नफरत फैलाने से नागरिकों पर गंभीर असर पड़ता है और इसके जरिए लोगों व समाज को आतंकवाद, जातीय उन्माद की ओर धकेला जा सकता है। इससे लोगों की जान माल व सुरक्षा पर गंभीर संकट उत्पन्न होता है। नफरत भरे बयानों से सामाजिक प्रगति बाधित होती है। अगर इस तरह की गतिविधियों को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह लोगों के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।