नई दिल्ली। देश आज 71वां संविधान दिवस मना रहा है। इस अवसर पर संसद के सेंट्रल हॉल में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए कांग्रेस पर करारा हमला किया और उन्होंने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए कांग्रेस को ‘पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाय द फैमिली’ कह डाला। मोदी ने यह भी कहा कि संविधान बनाने वालों ने तो देशहित को सबसे ऊपर रखा था, लेकिन समय के साथ नेशन फर्स्ट पर राजनीति का इतना अधिक प्रभाव हुआ कि देशहित पीछे छूट गया।

प्रधानमंत्री ने जिस कांग्रेस पर निशाना साधा, उसके साथ देश की 14 विपक्षी पार्टियों ने संविधान दिवस के कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। इनमें राकापा, शिव सेना, समाजवादी पार्टी, राजद, डीएमके और आईयूएमएल शामिल हैं। जबकि कांग्रेस और तृणमूल ने पहले ही कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस की अपील पर बाकी पार्टियों ने भी कार्यक्रम में न पहुंचने का ऐलान कर दिया।

26 नंवबर को ही मनाना चाहिए था संविधान दिवस
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘अच्छा होता देश आजाद होने के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू करनी चाहिए थी। इसकी वजह से हमारी पीढ़ियां जानती कि संविधान किसने बनाया, क्यों बनाया और कैसे बना, ये कहां ले जाता है, कैसे ले जाता है? इससे इसी पर हर साल चर्चा होती।

इसे हमने सामाजिक दस्तावेज और जीवंत इकाई माना है। विविधता भरे देश में ये ताकत के रूप में अवसर के रूप में काम आता। कुछ लोग इससे चूक गए। अंबेडकर की 125वीं जयंती पर हमें लगा कि इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि अंबेडकर ने जो पवित्र नजराना दिया है, उसे हम याद करते रहें।’

मुंबई हमले में मारे गए लोगों को याद किया
कार्यक्रम के आरंभ में मोदी ने कहा, ‘आज का दिन अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद जैसे दूरदर्शी महानुभावों को स्मरण और नमन करने का है। यह दिन इस सदन को प्रणाम करने का है। लेकिन आज 26/11 का भी दिन है। वो दुखद दिन, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में ऐसी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया।

भारत के संविधान में सूचित देश के सामान्य आदमी की रक्षा की जिम्मेदारी के तहत अनेक हमारे वीर जवानों ने उन आतंकवादियों से लोहा लेते-लेते अपने आपका बलिदान कर दिया। मैं आज उन सभी बलिदानियों को नमन करता हूं।’

 राजनीति के चलते राष्ट्रहित पीछे छूटा
पीएम ने कहा, ‘कभी हम सोचें कि हमें संविधान बनाने की जरूरत होती तो क्या होता। आजादी की लड़ाई के बाद विभाजन की विभीषिका के बावजूद देशहित सबसे बड़ा है, हर एक के हृदय में यही मंत्र था संविधान बनाते वक्त। विविधिताओं से भरा देश, अनेक बोलियां, पंथ और राजे-रजवाड़े, इन सबके बावजूद संविधान के माध्यम से देश को एक बंधन में बांधकर देश को आगे बढ़ाना था। आज के संदर्भ में देखें तो संविधान का एक पेज भी शायद हम पूरा कर पाते। क्योंकि, समय ने नेशन फर्स्ट पर राजनीति ने इतना प्रभाव पैदा कर दिया है कि देशहित पीछे छूट जाता है।’